विश्व-बंदी १८ मई


उपशीर्षक –  जीवन यापन का संकट

ऐसा नहीं है कि जीवन यापन का संकट केवल मजदूरों के लिए ही खड़ा हुआ है| इस संकट से हर कोई कम या ज्यादा, पर प्रभावित है| हर किसी की कमाई में लगभग तीस प्रतिशत की कमी आई है और हर किसी का इरादा खर्च में कम से कम बीस प्रतिशत की कमी करना है| निवेश का वर्तमान मूल्य (value) दो महीनों में तीस प्रतिशत घट चुका है| अगर सरकारी पैकेज की बात की जाए तो इसका कोई सकारात्मक प्रभाव देखने के लिए कम से कम साल भर इन्तजार करना होगा|

सरकारी घोषणाओं के प्रति मेरी निराशा का निजी कारण भी है – निजी रूप से इन प्रस्तावों के चलते मेरे काम में कम तीस से पचास प्रतिशत तक की कमी आने की आशंका है| यह अलग बात है कि मैं इस सब को पहले से ही संभाव्य मान कर आगे के कदम उठाने की तैयारी कर रहा था| परन्तु रास्ता कहाँ तक जाता है और गंतव्य कितनी दूर है मुझे नहीं मालूम|

मेरे लिए सकारात्मक यह है कि मैं जीवन में पिछले कई संकटों से गुजरकर उठ चुका हूँ| परन्तु मेरे जैसे हर के व्यक्ति के पीछे हजारों हैं, जिनके पास कोई मार्ग या मार्गदर्शन नहीं, न दृष्टि, न दृष्टिकोण| अन्य बुरे समय मुकाबले में यह स्तिथि यह मेरी तरक्की में एक बड़ा अडंगा है| जब अर्थव्यवस्था तरक्की कर रही हो तो आपके लिए आगे बढ़ना सरल है| परन्तु अकेले आगे बढ़ना कठिन है| सबसे बड़ी चुनौती है खेती और कुटीर उद्योग, अगर यह आगे नहीं बढ़ सके तो अर्थव्यवस्था की आधार संरचना कमजोर होगी| आप बड़ी अर्थव्यवस्था को ऊपर से बड़ा नहीं बना सकते इसके लिए इस अपने आधार को पहले मजबूत करना होता है| वर्तमान समय में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी कठिनाई यह ही है कि पिछले बीस वर्ष की आर्थिक तरक्की के दौरान इसका आधार कमजोर हुआ है| घर का सबसे कम योग्य बेटा खेती के लिए छोड़ दिया जाता रहा है|

हम सबकी चुनौती यह है कि इस सबके बीच अपनी अपनी आजीविका को वर्तमान स्तर से नीचे न गिरने दिया जाए|

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