जब अनजान लोग किसी अनजान जगह तलाश में जाते हैं तो कुछ पक्का पता नहीं चलता कि उसी जगह पहुंचे जहाँ जाना था या कुछ नई ख़ोज हुई| कोवलम तट पर हमारी यात्रा भी कुछ इस तरह ही थी| अपने वयस्त कार्यक्रम के दौरान कुछ घंटे चुराए गए और दोस्तों का एक समूह बिना किसी शोध – ख़ोज के टैक्सी में सवार होकर चल पड़ा| कष़ाकूटम से हमें ले जाने वाला टैक्सी चालक हिंदी और अंग्रेजी लगभग न के बराबर समझता था| हम कोवलम में उसके अनुसार मुख्य स्थान जुमा मस्जिद के पास तट पर उतारे गए| कोवलम के प्रसिद्ध तटों से अलग हम आम देशी जनता से भरे तट पर थे| कुछ स्थानीय लोग तफरीह कर रहे थे और बाकि मछली पकड़ने में व्यस्त थे|
तट पर भीड़ बहुत थी| होटल लीला (halcyon castle)और जुमा मस्जिद के उत्तर में ऊँची चट्टानों और लहरों की आँख मिचौनी के बीच हम चट्टानों के निकट जा विराजे| इन चट्टानों के लिए लिखा हुआ था कि संभल कर चढ़ें| यह भारी भरकम पत्थर थे जिनपर तेज लहरें आकर अपना जोर अजमाती थीं| यहाँ शांति थी| चट्टानों के दूसरी ओर एक रिसोर्ट में का समुद्र तट था जिसमें विदेशी सैलानियों की बहुसंख्या थी|
चट्टानों की तरफ शुरुआत में वहां एक छोटी मोटी संरचना थी, जिसे झंडियाँ लगा कर किसी साधारण दरगाह का रूप दिया गया था| मैं और मेरे दो मित्र सुन्दर नजारों के लिए अपनी किस्मत अजमाने इन चट्टानों पर चढ़े और यह अच्छा काम हमने किया| एक तो छोटी मोटी मगर कठिन चढ़ाई का लुफ्त मिला, दूसरा वहां समुद्र की लहरें और आवाज तेज थी| पत्थरों से टकराती लहरें तेज उठतीं गिरतीं थीं| हम यहाँ बैठ गए और दूर तक समुन्दर उछालें लेता था| छिपता हुआ सूरज रंग और नज़ारे बदल रहा था| इसे लिखा नहीं जा सकता| मैंने अपने घर फ़ोन कर कर पिता, पत्नी और बेटे को सीधा प्रसारण कर डाला| मेरा बेटा चट्टानों पर मेरे चढ़ने उतरने का कौशल देख खुश था| शायद यह ग्रोव तट कहलाता है|
उसके दक्षिण में विश्व प्रसिद्ध लाइटहाउस तट और हवा तट हैं| केरल पर्यटन का समुद्र तट रिसोर्ट उत्तर में शोभायमान है|