हमारे पर्यटक भगवान नहीं होते, उनसे बढ़कर होते हैं| पर्यटक अपने घर पर भले ही जमीन पर सोता हो, जब भी हम पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करते हैं तो बेहद आलीशान कमरा, मखमली गद्देदार पलंग, वातानुकूलन, शानदार देशी – विदेशी खाना आदि हमारे जेहन में होते हैं| हम पर्यटन के नाम पर खान – पान, नाच – गाने के रंग में केवल मौज – मस्ती परोस रहे हैं| क्या मौज – मस्ती के बाहर पर्यटन की दुनिया नहीं है? भले ही इस बारे में कोई सीधी बात नहीं हुई, मगर हाल में आउटलुक ट्रैवलर रेस्पोंसिबल टूरिज्म समिट के दौरान यह बात मेरे दिमाग में घूमती रही| इस सम्मलेन में मेरे प्रश्न के सभी उत्तर थे|
पर्यटन जमीन से भी जुड़ सकता है| लोग वास्तव में संस्कृति और सभ्यता से जुड़ने आते हैं; प्रकृति से प्रेम करते हैं; बेहद सादा जीवन जीना चाहते हैं; बनावट से दूर भी उन्हें दुनिया दिखती है; और पर्यटन विलासिता के बिना भी समृद्ध हो सकता है| यह वो विचार हैं, जो मेरे मन में सम्मलेन के दौरान उमड़ने लगे थे|
किसी भी साधारण सा जीवन यापन भी बिना किसी हो – हल्ले के न केवल नेक पर्यटन हो सकता है वरन एक सुन्दर व्यवसाय भी हो सकता है|
अगर मैं अपनी बात करूं तो शादी के बाद घूमने के लिए हमने गोवा के समुद्रतट के स्थान पोंडिचेरी जाना पसंद किया था| भीड़, गंदगी, हो – हल्ला और शाही स्वागत, यह सब हर किसी के लिए नहीं है| इनसे हमेशा मन को संतुष्टि और शान्ति नहीं मिलती| हम एक भागदौड़ की जिन्दगी जी रहे हैं, हमें शान्ति और संतुष्टि की जरूरत है, जो हमें पर्यटन के माध्यम के मिलते है| एक उचित पर्यटन हमें पर्यावरण, प्रकृति, संस्कृति, समृद्धि, सम्वेदना, और समन्वय से जोड़ता हैं| यह सम्मलेन कहीं न कहीं इन बातों की पुष्टि कर रहा था|
इस सम्मलेन में आईटीसी होटल्स – रेस्पोंसिबल लक्ज़री, सीजीएच अर्थ – एक्सपीरियंस होटल, नीमराना होटल्स – नॉन-होटल होटल्स, जैसे बड़े होटल थे तो विलेज वे, चम्बल सफारी, कबानी बम्बू विलेज जैसे अनुभव भी थे| इन सब अनुभवों के अपने अनुभव थे जो हमें एक साथ पर्यटन की फंतासी, उसकी उपलब्धियों और उसकी जमीन और जमीनी हक़ीकत से एक साथ जोड़ते हैं| सरकारें अपनी तरफ से एक साथ पर्यटन को बढ़ावा देने से लेकर उसके समुचित और नियंत्रित विकास के सारे प्रयास कर रहीं हैं| पर्यटकों का अधिक आवागमन किसी भी पर्यटक स्थल के विशिष्ट सौन्दर्य को हानि पहुंचा सकता हैं, इस लिए व्यापक मगर नियंत्रित पर्यटन हमारे समय की आवश्यकता है|
इस सम्मलेन में सरकारों और अफसरानों के विचार और अपने अनुभव सुनने का अवसर भी रहा| इस सम्मलेन में भारत सरकार के पर्यटन विभाग के साथ केरल पर्यटन, मध्य प्रदेश पर्यटन, उत्तराखण्ड पर्यटन, छत्तीसगढ़ पर्यटन, गुजरात पर्यटन, और उत्तर प्रदेश पर्यटन मौजूद थे| इसके अलावा पर्यटन से जुड़ी अन्य संस्थाओं, और विद्वानों के विचार भी सुनने का अवसर मिला|
विलेज वे और चम्बल सफारी भले ही सुनने में नए प्रयास और अनुभव मालूम पड़ते हों मगर वो एक उचित रूप से अच्छा व्यवसाय कर रहे हैं|
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