जो लोग मर चुके हैं, वो अपनी – अपनी जगह ऐसे लेटे हैं मानो उनके पास कोई और काम नहीं है|
(कहानी: कुछ पल के लिए जी उठना: फ्रांत्स होलर, स्विस कहानीकार)
फ्रांत्स होलर की ३७ कहानियाँ मेरे हाथ में हैं; “मुहाने की ओर और अन्य ३६ कहानियाँ: जीवन और मृत्यु पर”| इन कहानियों में न केवल स्विस समाज की झलक मिलती है वरन हम स्विट्जरलैंड के बहाने यूरोप को समझ पारहे होते हैं| जैसा कि इस संकलन का उस शीर्षक कहता है; हम जीवन और मृत्यु से जुड़े अनछुए पहलू इस संग्रह में देख पाते हैं| इस पुस्तक में कहानियाँ लम्बी नहीं हैं पर उनकी धार काफी पैनी है| यह कहानियाँ लेखक की पैनी नजर और बारीक समझ का आयना बन कर उभरीं हैं| इन कहानियों में हम यूरोपियन महायुद्ध और राष्ट्रीय संघर्ष भी देखते हैं; किसी शव – कक्ष के मात्र एक दृश्य की मार्फ़त जीवन को समझ पाते हैं; तो किशोर मन पर माता – पिता के न होने के दर्द के एक क्षण को देर तक समझते लेखक को महसूस कर पाते हैं| यह कहानियाँ मुझे मिनिएचर पेंटिंग सी लगतीं है; जिनमें बड़ी ही सहजता से बहुत बड़ा कथानक समा गया हो| अधिकतर कहानियाँ एकांकी है और निमिष मात्र के विराट अनुभव को महसूस करतीं हैं|
कहानी ‘वह चित्र’ मात्र छः वाक्यों में युद्ध का विभीषिका बयान कर देती है| ‘कुछ पल के लिए जी उठना’ मृत्यु के बाद के मीठे से कटु सत्य को मन में पिरो देती है| कहानी ‘ज़ेल्त्ज़ाख’ अनजान देश में होने वाले प्रारंभिक अनुभव को दर्शाती है| बीस पच्चीस वाक्य की यह कहानी भारत और उसकी सूचना तकनीकि क्रांति को भी रेखांकित कर देती है| ‘कहानियों की क्लास’ स्विट्ज़रलैंड में अभिवयक्ति की स्वतंत्रता पर सफलतापूर्वक प्रश्न चिह्न लगाती है| अन्य कहानियाँ भी मजबूती के साथ हमें छोटे छोटे और महत्वपूर्ण अनुभव करातीं हैं|
मूल जर्मन इन कहानियों का अनुवाद ज्योति शर्मा ने पूरी लगन के साथ किया है| वह दोनों भाषाओँ के अंतर और भाव को पकड़ने में लगभग सफल रहीं हैं| एक दो स्थान पर अनुवाद मशीनी बन गया है; यातायात नियंत्रक बत्ती, टिकेट लेने वाली मशीन|
मुझे हाल फिलहाल इतनी बारीकी से घटनाओं को पकड़ने वाली दृष्टि नहीं दिखी पड़ी है, जितनी फ्रांत्स होलर के इस संग्रह में दिखाई देती है| यह संग्रह हमारे मन में यूरोपीय, विशेषकर स्विस समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जिज्ञासा जगाने में सफल रहता है| यही इसकी सफलता भी है|
पुस्तक: मुहाने की ओर और अन्य ३६ कहानियाँ: जीवन और मृत्यु पर
कहानीकार: फ्रांत्स होलर
मूल भाषा: जर्मन
अनुवादक: ज्योति शर्मा
प्रकाशक: आर्यन पब्लिकेशन, दिल्ली
मूल्य: ` १२५/-
पृष्ठ: ८४