नवोदित आम आदमी पार्टी को दिल्ली चुनाव के रोचक परिणामों से उत्पन्न चुनौती का सामना कर पाने के लिए मेरी शुभकामनायें|
चुनाव परिणामों को देखने के बाद मेरी यह धारणा प्रबल हुई कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अहंकार का शिकार हुई|
साथ ही भाजपा सही समय के तुरंत बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के विरुद्ध उत्पन्न जन आक्रोश को समझने में सफल हुई| साथ ही भाजपा ने उचित समय पर न केवल चुनावी रणनीति में बदलाव किये वरन समय पूर्व ही चुनाव उपरांत की संभवनाओं पर भी मंथन किया|
भाजपा ने सही छवि के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बनाया| भाजपा ने अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में आआपा की पहचान की और उसकी छवि बिगाड़ने के सारे प्रयास किये अथवा उनमें भाग लिया| भाजपा के पास क्षेत्र वार समीकरणों, मतदान परिणामों और उनके दूरगामी प्रभावों का पूरा आंकलन था|
आप देख सकते है कि रामकृष्णपुरम से आआपा प्रत्याशी शाज़िया इल्मी को बेहद प्रभावी तरीके से चिह्नित किया गया| उन पर लगाये गए आरोप भले ही कहीं से भी आये हों, परन्तु भाजपा में उन्हें प्रभावी तरीके से प्रचारित किया| भाजपा ने इल्मी को आआपा के तथाकथित असल चहरे के रूप में पेश करने का प्रयास किया जिसे सोशल मीडिया पर बार बार शेयर किया गया|
इल्मी का उस क्षेत्र से चुना जाना संघ परिवार के लिए आत्महत्या करने जैसा होता क्योंकि उस क्षेत्र में विश्व हिन्दू परिषद् का मुख्यालय है और मुस्लिम आबादी का कोई बड़ा प्रभाव नहीं है| भाजपा हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र से “पढ़ी लिखी मुस्लिम महिला” को जीतने देकर, देश भर के कट्टरपंथी हिन्दू समाज को नया सन्देश नहीं जाने दे सकती थी| हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र से “पढ़ी लिखी मुस्लिम महिला” का जीतना कई नए सन्देश देता –
अ) सुशासन के बढ़ा हुआ महत्त्व,
आ) हिन्दू मुस्लिम खाई को भरना,
इ) हिन्दू समाज में मुस्लिम समाज की सकारात्मक छवि
ई) मुस्लिम महिला और समाज को विकास और खुली सोच का आदर्श
उ) सांप्रदायिक राजनीति का अंत
मतदान के दिन उसके पोलिंग एजेंट पूरी तन्मयता से हर मतदाता को चिन्हित कर रहे थे और उसके मूड को भांपने का प्रयास कर रहे थे| उन्हें तीसरे पहर तक यह सही जानकारी थी कि किस पोलिंग बूथ पर किसको कितना मतदान हुआ है| भाजपा के बंधे हुए समर्थकों को शाम से ही बुला बुला कर मतदान कराया गया|
आप देख सकते हैं कि बहुत से चुनाव क्षेत्रों में अंतिम समय में हुए मतदान से ही भाजपा ने जीत हासिल की है| देर शाम के इस मतदान ने अन्य चुनावी रणनीतिकारों को सकते में डाल दिया था|
मतगणना के दिन जब यह तय हुआ कि समस्त परिश्रम के बाद भाजपा पूर्ण बहुमत के पास नहीं पहुँच रही है तो उन्होंने बहुत शीघ्र उन्हें अपनी आगे की रणनीति के पासे चलने प्रारंभ कर दिए हैं| मुझे भाजपा की प्रशंसा करने चाहिए कि उसने दिल्ली में दंभ का प्रदर्शन नहीं किया और मंझे हुए राजनीतिक दल की तरह अपने कदम उठाने का निर्णय किया है|
इस समय भाजपा ने सबसे बड़ा दल होने के बाद भी सरकार बनाने की पहल करने से मन कर दिया है| हम इस समय बाजपेयी जी की तेरह दिन की सरकार से इसकी तुलना नहीं कर सकते| उस समय भाजपा अपनी सरकार को शहीद कर कर हिन्दू जनता को यह सन्देश दे रही थी कि अन्य सारे दल उसके विरुद्ध साजिश कर रहे हैं| आज अगर भाजपा सरकार बना कर सत्ता लोलुप होने की छवि नहीं बनाना चाहती| दूसरा सरकार बनाने के लिए होने वाली जोड़तोड़ उसे आआपा के मुकाबले में बेहद कमजोर नैतिक पायदान पर ले आएगी| अगर जल्द ही चुनाव होते हैं तो उसे अपने सारे राजनैतिक दाँव पेच चलाने का पूरा समय मिल जायेगा| यदि यह चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ होते हैं तो उस समय दिल्ली के स्थानीय मुद्दों और आआपा के सत्तर स्थानीय घोषणापत्रों पर राष्ट्रीय मुद्दे छाये रहेंगे| उस समय भाजपा दिल्ली में मोदी – केजरीवाल मुकाबले में मोदी की शक्ति को बढ़ा कर देखती है|
यह भी देखना है की भाजपा किस प्रकार सरकार बनाने की जिम्मेदारी से भागने का दोष संभालती है|
आआपा के किये यह अभी नयी शुरुवात है और अभी उसका राजनैतिक अन्नप्राशन होना है| उसके लिए सौभाग्य की बात है कि वह दूसरा बड़ा दल है| अगर वह सरकार बनाती है तो सत्ता लोलुपता के स्तर पर उसमें और अन्य दलों में कोई अंतर नहीं रह जायेगा| सरकार बनाने के बाद उसके उसके ऊपर अपने घोषणापत्र लागू करने का दबाब होगा जिसे बिना पूर्ण बहुमत लागू करना कठिन है| लेकिन उसे यह भी नहीं दिखाना है कि वह विरोध की राजनीति में इतनी रम गयी है कि आज सत्ता से भी भाग रही है|
आआपा पर यह चुनौती है कि वह किस तरह भाजपा को सरकार बनाने के लिए प्रेरित करे| उस से भी बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह से आआपा इस विधानसभा के भंग होने की स्तिथि में जनता को यह सन्देश देती है कि गलत प्रकार की राजनीति ने दिल्ली में दोबारा चुनावों की स्तिथि पैदा कर दी है|
यदि आआपा किसी अन्य दल की सरकार को चलने देकर बेहद सकारात्मक विपक्ष की भूमिका अपना सकती है| आआपा भाजपा के घोषणापत्र से वह मुद्दे जनता को बता सकती है जिनसे उसकी सहमति है| खुले मंच से यह घोषणा की जा सकती है कि यदि भाजपा अपने घोषणा पत्र में से चिह्नित घोषणाओं पर पहले तीन महीने के भीतर अमल का भरोसा दे तो आआपा उसकी सरकार को अन्य मामलों पर मुद्दों के आधार पर समर्थन दे सकती है|
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