क्या किसी पेशेवर सेवा प्रदाता का कार्य में कोई अंतर पड़ता है जब वह नौकरी में हो अथवा जब उसने अपनी खुद का प्रैक्टिस शुरू किया हो? मेरा मानना यह रहा है कि नौकरी करते हुए हम प्रायः अपने एक नियोक्ता को अपनी सेवाएँ देते हैं जबकि प्रैक्टिस में हम कई मुवक्किलों के लिए अपने आप को उपलब्ध रखते हैं| यह एक आदर्श स्तिथि है| जब हमारे पास पर्याप्त संख्या में बंधे हुए मुवक्किल हों तो हम उनके बीच अपना समय प्रबंधन करते हैं| उस समय में हमारे लिए नौकरी और स्वतंत्र कार्य में कोई अंतर नहीं होता है|
यह स्तिथि उस समय बदल जाती है जब हमारे पास अपनी अपेक्षा से कम मुवक्किल हों| यह अपेक्षा हमारी वास्तविक आर्थिक आवश्यकता भी हो सकती है और लोलुपता भी| उस समय में हम संघर्षरत रहते हैं| हमारी स्तिथि किसी भी दैनिक मजदूर से भिन्न नहीं होती| निश्चित रूप से लोलुपता की स्तिथि हमें मानसिक व् शारीरिक रूप से थका डालती है और हमें पेशेवर के स्थान पर पेशेवर मजदूर बना देती हैं| एक पेशेवर मजदूर अपने मुवक्किल के हर आदेश पर नृत्य करता हैं, यद्यपि यह नृत्य – संरचना उसकी अपनी होती हैं परन्तु मुव्वकिल एक स्वामी की भूमिका में आ जाता हैं| मुझे लगता है कि यह अवांछनीय स्तिथि है और धीरे धीरे हमें पेशेवर के स्थान पर पेशेवर मजदूर बना देती है|
एक अन्य स्तिथि वास्तविकता में हम मुश्किल से ही देख पते हैं, वह है, व्यवसायिक पेशेवर| व्यवसायिक पेशेवर, वह पेशेवर है जो पेशे में मात्र पारिश्रमिक ही नहीं देखता बल्कि अपने कार्य में से लाभ भी कमाने के बारे में सोचता है| इस मामले में कुल आय के दो भाग होते हैं; पारिश्रमिक और लाभ| ज्यादातर इन मामलों में, आप अपने पारिश्रमिक से अधिक सोचने की स्तिथि में आ चुके होते हैं| परन्तु, आर्थिक स्तिथि और अनुभव से अधिक यह हमारी मानसिक सोच और संघर्ष की मानसिकता को दर्शाता है| यधि हम व्यवसायिक पेशेवर बनना चाहते है तो हमें अपने में यह मानसिकता पहले ही दिन से उत्पन्न करनी होती है| इस प्रकार के पेशेवर मॉडल में हमें सफल होने में कुछ अधिक समय अधिक लग सकता है परन्तु यदि हमने पहले दिन से यह मॉडल नहीं अपनाया तो हमारे शुरुवाती मुवक्किल हमारे पूरे पेशेवर जीवन में हमारे व्यवसायिक मॉडल में सफल नहीं होने देंगे|
सबसे बड़ी बात यह है कि हमें व्यावसायिक पेशेवर बनने की स्तिथि में इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि हमारे मुवक्किल का कार्य सदा होता रहे और हमारे होने और न होने से भी उस पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े| एक “ज्ञान उद्यमी” के लिए यह स्तिथि प्राप्त करना एक बड़ी बात है| सबसे बड़ा खतरा उस साथी से ही महसूस होता है जो हमारी कार्य प्रणाली का हिस्सा है| इस दर को जीतना ही हमारी व्यवसायिक पेशेवर सफलता की कुंजी है|