लोक संगीत – रसिया


संगीत किसी भी तरह का हो अगर आप उसका आनंद नहीं ले पा रहे हैं, तो आप सच में संगीत को प्यार नहीं करते| संगीत ही विविधता ही उसका सबसे बड़ा सौंदर्य है| हम आज भारतीय और पाश्चात्य संगीत और उसके फ्यूज़न की बात करते हैं| हमारे यहाँ खुद हिन्दुस्तानी और कर्णाटक दो अलग अलग शाश्त्रीय संगीत हैं और तमाम तरह के लोक संगीत मौजूद हैं| अलग अलग समय पर अलग अलग संगीत सुनना प्रिय लगता है और उनकी अपनी विशेषता हैं| आज वैश्वीकरण और तकनीकि के दौर में जहाँ विश्व, पास आते आते सिकुड़ कर हमारे लैपटॉप में आ गया है, वहीँ लोक संगीत का गला इस इस सिकुड़ गए विश्व में घुट रहा है| लोक संगीत दम घुटने से मरने से बचने की जुगत कर रहा है|

मुझे संगीत की सभी विधाएं सुनने समझने में अच्छी है और मैं उनका माहिर न होकर भी उनका आनंद ले सकता हूँ| लोक संगीत से मेरा एक विशेष लगाव है और उसके बचाव और बढ़ाव में मैं अपना योगदान अगर दे सकूँ तो मेरा सौभाग्य होगा|

यह हमारे भारत वर्ष में बसंत की ऋतू अभी अभी समाप्त हुई है| यह ऋतू बसंतोत्सव का समय है और विश्व भर में प्रेम का संचार करती है| मानवीय प्रेम के प्रतीक, बसंत – पंचमी, वैलेंटाइन दिवस, होली आदि सभी उत्सव इसी ऋतू में मनाये जाते हैं| स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण की विभिन्न प्रेम लीलाओं का संगीतमय वर्णन इस समय किये जाने की परम्परा रही है|

इसी परंपरा का एक प्राचीन प्रतीक है हमारा लोक संगीत, रसिया गायन| रसिया मुख्य रूप से व्रजभाषा में गाया जाता है| व्रज भाषा हिंदी के जन्म से पहले, पांच सौ वर्षों तक उत्तर भारत की प्रमुख भाषा रही है| रसिया गायन में राधा और कृष्ण को नायक – नायिका के रूप में चित्रित करते हुए, मानवीय संबंधों, मानवीय प्रेम, और ईश्वरीय भक्ति – प्रेम का गायन है|

मेरे जैसे जिन लोगों ने आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) पर रसिया सुने हैं उन्होंने अवश्य इसका रसास्वादन किया होगा| अच्छे रसिया गीत में श्रंगार और भक्ति रस का गजब का सम्मिश्रण होता है जो प्रेम को ईश्वर तक ले जाता है| रसिया गायन आपको सरल सहज शब्दों में प्रेम का सन्देश देता है| एक समय में व्रज क्षेत्र में रात रात भर रसिया दंगल हुआ करते थे| जिनमे एक से एक बढ़िया काव्य और संगीत की प्रस्तुतियां की जातीं थीं| आज तो होली के दिनों में रेडियो टेलिविज़न पर वही दो चार पुराने रसिया गीतों की रिकार्डिंग बजा कर केवल परम्परा का नाम भर ले लिया जाता है|

आज इस दम तोडती परम्परा को निर्वाह करने वाले बाजार में निम्न स्तरीय संगीत बेच रहे हैं| ऐसा शायद सुनने वालों का आसानी से उपलब्ध अन्य विधाओं के संगीत की तरफ जाने के कारण हो सकता है| कुछ लोक संगीत, विशेषकर रसिया, के कलाकारों के पास संसाधनों और विज्ञापन क्षमता की कमी हो सकती हैं| लोक संगीत से फिल्मो और अन्य संगीत की ओर प्रतिभा पलायन भी एक समस्या है| मुझे लगता है कि शायद नयी तकनीकि लोक संगीत को संरक्षित कर सकने और बढ़ावा देने में अपना योगदान दे सकती है| मुझे आशा है कि HP Connected Music India भी इस प्रकार का एक अच्छा प्रयास कर सकता हैं|

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2 विचार “लोक संगीत – रसिया&rdquo पर;

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  2. पिगबैक: साहित्य : समाज का दर्पण — समतल, अवतल या उत्तल | गहराना

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