अगर आप भूखे शेर को हिरण का पीछा करते देखें तो क्या करेंगे? पुरानी पहेली है| अगर आप कुछ नहीं करते तो कायर, नाकारा, मांसाहारी, हिंसक, शोषक, और मूर्ख मान लिए जाते हैं| मजे की बात हैं जो लोग हत्यारे अपराधी या बलात्कारी को छोड़िए जेबकतरे से भी किसी को बचाने का प्रयास नहीं करते, इस कल्पित पहेली के शेर के सामने कूद मरने के लिए आमादा रहते हैं|
यदि आपको हिरण के जीवन की चिंता है तो शेर का मुक़ाबला करने की जगह उसके लिए प्राकृतिक दुर्घटना में कुछ ही पल पहले मृत किसी जानवर का इंतजाम करना होगा| उसे हिरण या कोई और जानवर चाहिए, उसे ताज़ा मांस चाहिए होता है| यह श्रमसाध्य या लगभग असाध्य काम हम आप तो नहीं ही करेंगे| हम नहीं सोचेंगे कि शेर भूखा है और उसका भोजन घास नहीं मांस है| अगर आप शेर का सामना कर कर हिरण को बचा लेते हैं तो अपने आप को कई प्राकृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक प्रश्नव्यूह में फंसा लेते हैं| क्या आप अन्जाने में शेर की हत्या करना चाहते हैं? क्या आप हिरण के कार्मिक चक्र में हस्तक्षेप करना चाहते हैं? क्या आप ईश्वर निर्धारित प्राकृतिक भोजन श्रेणी को बदल देना चाहते हैं?
हिरण का जन्म किसी कार्मिक चक्र के कारण हुआ है और उसके जीवनचक्र के अनुसार उसका मरण होना ही है| जंगल की प्राकृतिक सम्भावना उसके शिकार होने में ही है| हम कुछ भी करें उनकी मृत्यु निश्चित है| हिरण के लिए हिरण योनि से मुक्ति का समय है| क्या हम इसमें हस्तक्षेप करेंगे?
शेर या कोई भी शिकारी जानवर भूख से अधिक शिकार नहीं करता और इस एक शिकार पर कई जानवरों और उसके उपरांत सैकड़ों क्षुद्र कीटों का उदर पोषण होता है| शेर यदि मात्र मनमौज के लिए भूख से अधिक शिकार करता है तो उसके लिए पाप होता है| यह पाप तो तब भी होता है जब हम शाकाहारी या सात्विक भोजन भी भूख से अधिक खाते हैं और उदररोग का दण्ड पाते हैं जो मोटापे से लेकर कई कष्टों तक जाता है|
शेर और हिरण की इस पहेली में हमें मात्र प्रेक्षक ही बनना है| यह हमारा दण्ड या पुरस्कार हो सकता है| निर्लिप्त प्रेक्षक बनकर आप ईश्वर और ईश्वरीय नियम में आस्था रखते हैं| सबसे बड़ी बात आप अपने आप को हत्या करने से बचा लेते हैं|
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