उपशीर्षक – आरोग्य सेतु, खुली शराब
मैं हर बात पर मोबाइल एप बना दिए जाने में कोई तर्क नहीं देखता| परन्तु जिन गिने चुने कार्यों के लिए एप बढ़िया सेवा प्रदान कर सकते हैं उनमें निश्चित रूप से “असुरक्षित संपर्क चेतावनी” और “असुरक्षित संपर्क पुनर्सूचना” निश्चित ही आते हैं| परन्तु आरोग्य सेतु के बारे में बहुत से प्रश्न हैं जो अनुत्तरित हैं| यह प्रश्न “घोषित” मूर्ख राहुल गाँधी द्वारा उठाने से मूर्खतापूर्ण नहीं हो जाते| प्राचीन संस्कृत साहित्य आज तक अपने समय के “घोषित” महामूर्खों का ऋणी है|
अधिकतर एप अनावश्यक सूचना मांगने और उनके दुरूपयोग का माध्यम रहे हैं| अगर यह एप कोई भी सूचना गलती से भी गलत हाथों में पहुँचा दे तो यह देश और सरकार के लिए खतरा बन सकता है| मैं इस मामले में मोदी जी या उनकी सरकार की निष्ठा पर प्रश्न नहीं उठा रहा, न ही एप विकसित करने वाले गुप्त समूह पर| परन्तु किसी भी सरकारी कार्यकलाप की पुनः जाँच होने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए|
करोनाकाल के प्रारंभ में कथित रूप से मोदी सरकार ने हवाई अड्डों पर निगरानी के आदेश दिए थे जिससे संकृमित व्यक्तियों की पहचान हो सके| जब भी इस काम के ठीक से न होने पर प्रश्न उठता है अंध-भक्त तर्क देते हैं कि यह काम मोदी खुद थोड़े ही करते, यह सब अधिकारियों की गलती है| यही तर्क मेरा भी है| मेरा आरोग्य सेतु के अंध-समर्थकों से यह ही निवेदन है कि आरोग्य सेतु मोदी जी ने खुद थोड़े ही बनाया है, इसकी सुरक्षा जाँच होने में क्या कठिनाई है?
आज दिन भर सोशल मीडिया में जिस तरह सरकार समर्थक बातें करते रहे उस से ऐसा भान होता है जैसे कि सरकार ताला बंदी को हल्का नहीं कर रही बल्कि करोना के आगे घुटने टेक रही है| मोदी भक्त सरकार का अनावश्यक बचाव करते नज़र आ रहे हैं| जबकि इस बात पर कोई बड़ा प्रश्न नहीं उठा है| वास्तव में लोग तालाबंदी पर अधिक प्रश्न उठाते रहे हैं| यह जरूर लगता है, सरकार तालाबंदी के समय का सदुपयोग उपकरणों, दवाइयों, योजनाओं आदि में करने में असफल रही है|
तालाबंदी जरूर जारी हैं पर कल से शराबबंदी खुलने के साथ|