उपशीर्षक – मूर्खता का धर्म युद्ध
आज मानवता के संरक्षक भगवान विष्णु के अवतार श्री राम का जन्मदिन है| मानवता अपनी मौत मरना चाहती है| ताण्डव हो है| मैं मूर्खता का धर्म युद्ध देख रहा हूँ| कौन सा धार्मिक संप्रदाय ज्यादा मूर्ख है इस बात की होड़ चल रही है|
पहले भारत के प्रधानमंत्री की मानवतापूर्ण बात का तथाकथित वैज्ञानिक आधार खोजकर जनता कर्फ्यू की शाम तालियों, ढोल नगाड़ों बाजे ताशों के साथ देश ने अपना मजाक उड़वाया| इस से पहले गौमूत्र और गोबर के महाभोज आयोजित हुए कि इन दोनों पदार्थों के सेवन से विषाणु का असर नहीं होगा| फिर तबलीग वाले और उनकी मूर्खतापूर्ण वक्तव्य सामने आये जो काफ़िरों पर हुए इस खुदा के कहर में खुद बीमार पड़े और काफ़िरों से ज्यादा स्वधर्मियों के लिए ख़तरा बने| भारत के बाहर की ख़बरें भी दुःखदायी हैं| इस्रायल में ऑर्थोडॉक्स यहूदियों पर सरकार को पुलिस कार्यवाही करनी पड़ी और ड्रोन, हेलीकॉप्टरों और स्वचालित हथियारों का प्रयोग करना पड़ा| अमेरिका में एक पंथ ने बीमारों के आग्रह किया की बीमार होने पर दूसरों पर खांसने और थूकने का हमला करें|
अधिकतर धर्म बड़ी बीमारियों को ईश्वर की मर्जी (यहूदी, ईसाई, मुस्लिम) या नए – पुराने पापों का फल (हिन्दू, बोद्ध, जैन, सिख) मानते हैं| कुल मिला कर हर धर्म का अन्धविश्वासी बीमारी में मरकर स्वर्ग का द्वार अपने लिए खोलना चाहता है| कुछ लोग अपने सहधर्मियों के लिए यह “सरल” मार्ग उपहार में देना चाहते हैं तो अन्य काफ़िरों/अविश्वासियों/कमुनिस्ट आदि को पाप का फल या प्रायश्चित का अवसर उपहार में देना चाहते हैं|
इन धार्मिक अंध-विश्वास के नाम पर बहुत से लोग चिकित्सकों और स्वस्थ्य कर्मियों पर हमला कर रहे हैं कि हमारी जाँच और इलाज न करों| दूसरी तरफ वो लोग भी हैं जो चिकित्सकों और स्वस्थ्य कर्मियों पर इसलिए हमला कर रहे हैं कि उनके मरीज को देखने में देरी हो रही है|
सब डरे हुए लोग अपना बचाव चाहते हैं| मेरे जैसे कुछ घर में “डरकर” बंद बैठे हैं| तो कुछ सड़क पर सिगरेट पीते हुए सोचते हैं कि बीमार (भले ही बीमार को अपनी बीमारी का पता तक न चला हो) घर बैठे| कुछ महानुभाव इलाज के अभाव में बीमारों को मार डालने तक की बात कर रहें हैं| यह इतना घाटक है कोई बीमार अपनी बीमारी बताने में भी डरने लगे| तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री को करोना हुआ है मगर दो अन्य मंत्री आज मंदिर में राम नवमी के सार्वजानिक पूजन कर कर ईश्वर प्रसन्न करते नजर आए|
सबसे घटिया वह लोग हैं जिन्हें करोना का इलाज कर रहे अपने किरायदार चिकित्सकों और स्वस्थ्य कर्मियों को घरों से निकाल रहे हैं| बहुत के पड़ोसियों ने चिकित्सकों और स्वस्थ्य कर्मियों को घर लौटने से मना कर दिया| इन मकान मालिकों और पड़ोसियों का कोई धर्म नहीं क्योंकि इनके पास अच्छा पैसा, उच्च जाति, उच्च वर्ग और कर देने का उलहना है|
शाम ठीक बीती| काम धंधा करना है पर इस माहौल में कार्य में चित्त लगाना कठिन हो रहा है| ब्लॉग के अलावा सामाजिक मीडिया के अपने को बाहर कर रहा हूँ| सही–गलत ईश्वर जाने|