उपशीर्षक – अप्रैलफूल
आज अप्रैलफूल है| पिछले एक माह से मानवता इसे मना रही है| किसी ने चीन का शेष विश्व पर जैविक हमला बताया तो किसी ने अमेरिका के चीन पर जैविक हमले और उस के वापसी हमले की बात की| कोई इसे लाइलाज बता रहा है तो किसी को मात्र सर्दी जुकाम जैसे लक्षण हो रहे हैं| कोई गोबर – घंटे से ठीक कर रहा है तो कोई नमाज़ से| भारत सरकार कहती है इस बीमारी का भारत में कोई सामुदायिक फैलाव नहीं हैं मगर स्थानीय फैलाव की बात कर रही है जो सामुदायिक फैलाव का मामूली सा हल्का रूप है| भारत के सरकारी आंकड़े का अध्ययन करने पर लगता है उतना बुरा हाल नहीं, मगर सरकारी आँकड़े पर भरोसा कौन करता है?
अभी तक के आंकड़े के हिसाब से दस प्रतिशत से अधिक मृत्यु दर नहीं है| कुछ वर्ष पहले मलेरिया हेजा आदि शायद अधिक खतरनाक थे| देखा जाये तो साधारण सर्दी जुकाम की भी तो कोई पक्की दवा हमारे पास नहीं हैं| हमें चिंता करने और सावधानी बरतने की जरूरत है, घृणा और डर की नहीं|
पिछले दो दिन से अचानक एक धर्म विशेष की संस्था विशेष को खलनायक मान लिया गया है, जो शायद काफी हद तक सही लगता है, मगर केंद्रीय और स्थानीय सरकार इस सन्दर्भ में अपनी गलतियाँ छुपाकर बैठ गईं है| तबलीग वालों से सबसे अधिक ख़तरा मुस्लिम समाज को है, क्योंकि ये उनके बीच जाकर बैठेंगे|
बीमारी से अधिक घृणा फ़ैल चुकी है और उस से अधिक फैला है डर| हिन्दू इस मुद्दे पर मुस्लिमों से घृणा सिर्फ अपना खून जला रहे हैं| किसी को अगर यह बीमारी लगती हैं तो फिलहाल अपने किसी निकट वाले से होने की सम्भावना अधिक है| इसका ध्यान रखें|
हजरत निजामुद्दीन को दिल्ली का संरक्षण माना जाता रहा है| तबलीग वाली घटना के सामने आने के बाद से जंगपुरा की सड़के काफी सुनसान पड़ी थी| तीसरे पहर दवा का छिडकाव होने के बाद फिर से हल्की चहल पहल हो गई| जनता खुद चीजों को बहुत हल्के में लेती है| शाम टहलने वाले भी निकले|
तबलीग का एक असर यह मिला की आज पीछे पार्क में मंदिर का घंटा कम बजा| पुलिस वाले की दिन से कह रहे थे कि घंटे को कोई भी छूता है, केवल एक आदमी ही बजाए| आज कुछ असर हुआ|
दोस्तों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से दूरी बनाकर रहें, बाकि लोग तो वैसे भी आपके पास नहीं आ पाएंगे| आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग पर रिश्तेदारों से बात हुई| बढ़िया रहा|