अतिशय सकार की नकारात्मकता


सकारात्मकता हम सभी की प्रिय है| नकरात्मक व्यक्ति, विचार, विमर्श, वस्तु, किसी को पसंद नहीं आते| पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित आलेख वर्षों से बता रहे हैं कि किसी प्रकार की नकारात्मकता को निकट नहीं आने देना चाहिए| सकारात्मकता के प्रचार प्रसार में विश्वभर के प्रशिक्षकों, प्रेरक वक्ताओं, धर्मगुरुओं, राजनेताओं, की अपार सेना लगी हुई है| अगर इनके प्रचार पर ध्यान दिया जाये तो लगता है विश्व पल भर में बेहद सुखद बनने जा रहा है| कुछ धर्मगुरु अपने प्रवचनों में ईश्वर को नकारात्मकता की रचना करने के लिए दोषी ठहराने के मात्र चौथाई क्षणभर पहले ही अपनी वाक् – प्रवीणता को लगाम दे देते हैं| मानों सकारात्मक होना ही सृष्टि का उद्देश्य है|

विश्व भर में आग्नेयास्त्र वर्षाने वाले एक बेहद बड़े राजनेता पैसे लेकर आपको सकारात्मकता का पुण्य प्रसार करते मिल जायेंगे| विश्वभर के आतंकवादी, शोषक, राजनेता, पूंजीवादी, साम्यवादी, सम्प्रदायवादी, धर्मगुरु, मंदिर, मस्जिद, गिरजे, गुरूद्वारे, मदिरालय, वैश्यालय सब अपने प्रति होने वाले नकारात्मक प्रचार से दुखी हैं| हाल में एक महान समाजशास्त्री समाचारपत्रों में छपने वाले, रेडियो पर बजने वाले, टेलीविजन पर दिखने वाले, उस सभी समाचारों से परेशान थे जिसमें अपराध, शोषण, दमन, हत्या, बलात्कार, आतंकवाद, गरीबी, बेचारी, महंगाई, विपदा, आपदा, आदि मनुष्यमात्र को ज्ञात होते हैं| महान समाजशास्त्रियों का मत है – गैर कामुक प्रेम, आर्थिक विकास, हरियाली, मुस्कान, महाराज्यमार्गों, गगनचुम्बी इमारतों, हँसते बच्चों, खिलखिलाती युवतियों और मस्त युवकों के बारे में ही समाचार, विचारविमर्श होना चाहिए|

वर्तमान समय की विश्व सरकारें अपने कृत्य – कुकृत्यों के बारे में जनता की राय मांगते समय किसी नकरात्मक सम्भावना का विकल्प ही नहीं देतीं| प्रस्तावित कार्यों के लिए सुझाव जानते समय पहले की सकारात्मक सुझाव का एक मात्र विकल्प दिया जाता है| कभी कभी रचनात्मक सरकारें सकारात्मक और रचनात्मक दो विकल्प भी देतीं है| उदहारण के लिए अगर सरकार बहादुर एक दिन में दो सेर मीठा खाना चाहें तो उन्हें रसगुल्ला, बर्फी, गुड़, शहद के सकारात्मक सुझाव दें, यह न कह दें कि इतना मीठा खाने से मधुमेह हो न हो मगर कै, उल्टी – पल्टी, आदि का खतरा हो सकता है| अगर आप रचनात्मक सुझाव देना चाहें तो (जैसा बहुत से बाजारू पेय में होता है,) दो सेर मीठे में उल्टी की दवा मिलाकर पीने का  सकारात्मक सुझाव दे सकते हैं|

अभी हाल में एक सज्जन ने पैदल लम्बी तीर्थयात्रा पर जाने के विचार किया| बोले सलाह दीजिये, हमने थकान, बीमारियों और आयु से सावधान करते हुए उनके दैनिक पदयात्रा लक्ष्य को कम करने का निवेदन किया| बोले, तुम नकारात्मक प्राणी हो, ईश्वर का नाम लो और यहाँ से पधारो| बाद में सप्ताह भर की यात्रा के बाद ही वह चिकित्सालय की शरण जा पहुँचे|

किसी भी विषय आलोचना या समालोचना और आने वाली नकारात्मक परिस्तिथियों को नकार नहीं माना जाना चाहिए| अगर व्यकित अपनी या अपने विचार की आलोचना को नकारात्मक मान कर उसपर ध्यान नहीं देता तो उसकी यह अति सकारात्मकता नकारात्मक परिणाम देती है| इसका अर्थ यह भी नहीं कि नकारात्मक विचार को सिर पर चढ़ा लिया जाए| हल सकारात्मक उपाय ढूढने में है|

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