प्यारी पवित्र पुलिस


भारत का शायद ही कोई गाँव या शहर ऐसा होगा जहाँ घर द्वार पर पुलिसवाले को देख कर घर के लोग सहम न जाते हों| पुलिस का अपनी गली में आना ही एक गाली है और घर के सब लोगों की गर्दन झुका देने के लिए काफी है| घर की बैठक में पुलिस वाला रोज हुक्का पीने आये और सलाम ठोंक का जाए तो दस कोस तक इज्जत अपना झंडा लहराती है| जिन गांवों में खाप पंचायत या जात पंचायत या नक्सल आदि का दबदबा हो तो उस गांव में पुलिस बिना अनुमति घुसने नहीं दी जाती, यह अक्सर दावा किया जाता है|

कोई भी शरीफ़ आदमी अभी किसी पुलिस वाले से रास्ता नहीं पूछता, किसी पुलिस वाले की दी बीड़ी नहीं पीता, किसी पुलिस वाले दुआ सलाम नहीं करता| अगर गलती से कोई पुलिस वाला रास्ता काट जाये तो लोग भैरों बाबा का नाम जपते हैं| ऐसे में पुलिस वाले को और हनुमानजी को प्रसाद चढ़ा कर अपने पिछले पापों का प्रायश्चित करते हैं|

देश में हर गली, मोहल्ले, प्रान्त और यहाँ तक थानों में भी पुलिस के प्रति इसी तरह का अविश्वास है|

मगर, मगर…

इस देश में सबसे अधिक पुलिस पर विश्वास करते हैं –

  • अगर पुलिस किसी मजदूर किसान को विकास विरोधी बता दे;
  • अगर पुलिस किसी गंवार देहाती आदमी को नक्सल बता दे;
  • अगर पुलिस किसी दलित को चोर, डकैत, अपराधी प्रवृत्ति बता दे;
  • अगर पुलिस किसी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी को भ्रष्ट बता दे;
  • अगर पुलिस किसी औरत को वैश्या, चरित्रहीन, कुलटा, बता दे;
  • अगर पुलिस किसी मुस्लिम को आतंकवादी बता दे;
  • अगर पुलिस किसी अच्छे पढ़े लिखे को उपरोक्त में से किसी के प्रति सहानुभूति रखने वाला बता दे;

देश की पुलिस पवित्र है, उनका मनोबल ऊँचा रहना चाहिए… तब तक … जब तक वो पड़ौसी को झूठे मुकदमें में फंसाती हैं; पसंदीदा नेता के तलबे साफ़ करती है; जिनके खिलाफ डटकर दुष्प्रचार है उन्हें ख़त्म करती है|

किसी को पुलिस का ऊँचा मनोबल देश के हित में नहीं चाहिए; निष्पक्ष न्याय के लिए नहीं चाहिए|
इस देश का एक सपना है, पुलिस का मनोबल देश गाय – भैंस – भेड़ –बकरी के रेवड़ की तरह ऊँचा होना चाहिए…
इति शुभम…||

कृपया, अपने बहुमूल्य विचार यहाँ अवश्य लिखें...

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.