लगभग पंद्रह साल पहले की बात है| अलीगढ़ शहर के बाहरी इलाके में पिताजी ने अपना मकान शुरू कराया था| जब नींव तक काम पहुँचा तो बिजलीघर के चक्कर भी लगने शुरू हो गए| पिताजी की व्यस्तता के कारण भागदौड़ मेरे ऊपर पद गई| सब- स्टेशन से लेकर विभाग के जिला कार्यालय तक के रास्ते, वहाँ के फूल –पत्ती, पान के निशान और सिगरेट के धुँए तक से पहचान हो गई| मगर तीन महीने की भागदौड़ के बाद भी नतीजा शून्य का शून्य; जिस ओवरसियर या जूनियर इंजीनियर साहब को काम करवाना था वो बहुत व्यस्त रहा करते थे| उधर घर पर छत भी पूरी होने लगी थी| पड़ोसियों से उधार ली गईं बिजली से काम चलाया जा रहा था| कुछ लोगों ने कटिया प्रबंधन की सलाह दी; ये दोनों ही कार्य क़ानूनन गलत हैं|
जैसे जैसे मकान का काम पूरा होता जा रहा था, हमें इस मकान में रहने की जल्दी होने लगी| बिजली का प्रबंध नहीं था और पिताजी कटिया प्रबंधन के विरुद्ध थे| उस समय दो घटनाएँ एक साथ हुईं| एक तो मुझे एक चपरासी ने बताया कि जूनियर इंजीनियर साहब पान और सिगरेट का शौक है तो अगर उन्हें पान खिलाओ तो उस दौरान बात हो सकती है| दूसरा, पापा को सोलर लालटेन के बारे में पता लगा| उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण इलाकों में उस पर सब्सिडी दे रही थी| भाग्यवश हमारा नया घर ग्राम पंचायत के अधीन था| जो भी माँग रहा था उसे सब्सिडी पर सोलर लालटेन मिल रहीं थीं या कहें कि जानकारी होने पर जो सोलर लालटेन माँग रहा था केवल उसे ही सोलर लालटेन मिल रही थी; हमें भी मिल गए| कुल जमा तीन या चार हजार रुपये में| ये बात अलग है कि मुझे कभी भी नहीं लगा की उसकी वास्तविक कीमत उस से ज्यादा होगी|
पहला काम हुआ की सोलर लालटेन के भरोसे हमने नए घर में प्रवेश किया| गर्मीं में भी नया घर ठंडा था और दिन में चार्ज हुई लालटेन आधी रात तक आराम से काम करती थी| दूसरा हमने जूनियर इंजीनियर साहब को तम्बाकू का बढ़िया पान खिलाने के लिए ले चलने में सफलता प्राप्त कर ली| पान खिलाकर हम बेचैन से चुप थे और जूनियर इंजीनियर साहब पान में मगन| थोड़ी देर बाद बोले; कब चलना हैं? हमने कहा, जब समय हो| बोले; जल्दी नहीं है, मई का महीना है| जल्दी तो है मगर आप कब समय दे पाएंगे| बोले; हमारा क्या; ब्राह्मण आदमी हैं, जब खीर पूरी खिलाओगे चल पड़ेंगे| हमने कहा कल चलिए| बोले; खीर पूरी का इंतजाम हो जायेगा| हमने कहा; हाँ| बोले; ठीक है, कल आते हैं|
अगले दिन हमने जूनियर इंजीनियर साहब साहब को भोजन पर बुलाया| मगर समस्या हफ्ते भर तक जस के तस बनी रही| एक दिन पूछने पर बोले; भोजन तो ठीक है मगर दान दक्षिणा भी तो होनी चाहिए थी| मैं चुप रहा तो बोले तुम कटिया डालते हो| मेरे मना करने धमकाने लगे| अगर पकड़े गए तो जेल भेजेंगे| सारी शराफ़त की बत्ती बना देंगे| जब बहुत हो गया तो हमने भी बोल दिया, अगर हफ्ते भर में नहीं पकड़ पाए हमारी कटिया तो अगले रोज हमारी बिजली लगवा देना| अकड़ और क्रोध में साहब सबके सामने वादा कर बैठे| सातवें दिन रात दस बजे दरवाजा खटका| सोलर लालटेन को इंजीनियर साहब के दर्शन हुए और बोले कल बिजली लगने के कागजात पूरे करवा लेना|
बिजली तो लगी मगर उस बिजली का झटका साहब को बड़ा तेज लगा था| पूरे छः महीने बिजली के बिल के हमें दर्शन नहीं हुए| नवम्बर में बिजली काटने का नोटिस था शायद पच्चीस हजार रुपये का| एक हफ्ते में बिजली कट गई| मगर हमारी सोलर लालटेन अब भी रात को काफी टाइम काट देती थी| इस समय हमें सोलर लालटेन का सहारा था|
पिताजी उसी समय नौकरी से फारिग हो लिए थे और वकालत का मन बना रहे थे| पहला नोटिस तैयार हुआ बिजली विभाग के खिलाफ| उपभोक्ता अदालत में मुकदमा लड़ा गया| कागज साफ़ थे, घरेलु कनेक्शन पर कमर्शिअल का बिल दिया गया था| जो कागज थे, सभी कागज सरकारी थे| एक पक्ष खुद सरकार थी और दूसरा हालिया रिटायर्ड सरकारी अधिकारी| पहले ही दिन बिजली के वकील को बहुत सुननी पड़ी| वकील साहब अदालत के बाद अपने साथ पिताजी को एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के कार्यालय ले गए| पिताजी को जूनियर इंजीनियर के ऑफिस जाकर इंतजार करने के लिए बोला गया|
बुड्ढे मुर्गे तो थका हारा आये हुए देख कर वहाँ सारा स्टाफ़ मुस्कुरा रहा था| जूनियर इंजीनियर साहब ने खुद उठ कर मजाकिया अंदाज में पानी का गिलास बढ़ाया| बोले; अदालत में क्या तोप तीर मार आये साहब| आप के बस का नहीं है ये रोग और न ही बिजली लगवाना| तभी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अपनी जीप से उतरा और बिजली के वकील साहब भी| वकील साहब ने अपनी वो जिरह शुरू की कि सबके छक्के छूट गए, अब पिताजी उन्हें पानी पिला रहे थे|
थोड़ी देर बाद जूनियर इंजीनियर ने खुद सीढ़ी चढ़कर हमारी बिजली जोड़ी| सारा मोहल्ला और बिजली विभाग के अधिकारी मौजूद थे| दो हफ्ते बाद अदालत में विभाग ने बिजली जोड़ दिए जाने की सुचना दी तो भी अदालत को संतुष्टि नहीं हुई| हमें पिछला बिल नहीं देना था और साथ में इतना मुआवजा मिला कि हमें अगले कई महीने बिजली का बिल नहीं देना पड़ा| जूनियर इंजीनियर साहब को खर्चा कर कर अपना तबादला दूसरी जगह करवाना पड़ा|
सोलर लालटेन लगभग आठ साल तक ठीक चली और बिना नागा रोज पांच छः घंटे सौ वाट के बल्ब के बराबर रौशनी देती रही|
पुनश्च: पिताजी इस ड्राफ्ट को पढ़ कर कह रहे हैं, अब तो ठीक करा दे| बिजली के दाम भी बढ़ने वाले हैं|