भारत के केंद्र में
दिल्ली
देश की देहली है
जिसे बिना लाँघे
आप देख सकतीं हैं
हमारे बिम्ब हजार|
ख़ान बाज़ार में खनकती खुशहाली
हमारी हफ़्ताई हाटों में
जेब कतरों से बचाकर
अपनी जरूरतों से आँख बचाकर
घर की खुशियाँ बटोरते हम|
सातों मृत मृत्युंजय दिल्लियाँ
उनके बिखरे वैभव
उनके धड़कते खुले दिल
नए रंग हमारे
हमारी जिजीविषा|
दरिया सी बहती दिल्ली,
रायसीना सी अकड़ती दिल्ली,
चाँदनी चौक चमकती दिल्ली,
दीवाली सी जगमग दिल्ली,
होली सी दिलरंगी दिल्ली|
मरियल दिल्ली,
करियल दिल्ली,
हरियल दिल्ली,
अड़ियल दिल्ली,
कड़ियल दिल्ली|