बूढ़ा भुल्लकड़ इतिहास


पुराने देशों का इतिहास भुल्क्कड़ बुढ़िया की तरह होता है| अपनी पुरानी जवानी को याद करता हुआ और नई जवानी की उम्मीद में च्यवनप्राश से लेकर धतूरे तक जो मिल जाए खाता पीता हुआ| इस बुढ़िया की कहानियां बच्चों की सुहानी लगती हैं तो बड़े इन्हें सुनकर जवानी की आहें भरते हैं| मगर कोई इनसे संतुष्ट नहीं होता| बुढ़िया का हर किस्सा कुछ न कुछ छोड़ देता हैं कुछ न कुछ तोड़ देता हैं| कहीं दिन गलत क्रम में मिल जाते हैं तो कभी युग पलट जाते हैं| कभी सुपर्नखा और सीता दुश्मन होतीं हैं तो कभी बुआ- भतीजी की तरह बातें करती हैं| कभी चंगेज खां सम्राट अशोक के धर्म भाई और कर्म भाई होते हैं तो कभी तैमूरलंग और औरंगजेब के पुरातन पुरखे| सच की परते प्याज के छिलके की तरह उतरती हैं| सच- हर किसी का अपना होता हैं| इंसान को सच की कभी आदत भी तो नहीं रही| इंसानियत झूठ पर टिकी है – जैसे सूर्य पूरब से निकलता है और इंसानियत की नींव दया-धर्म पर टिकी है|

हिंदुस्तान का इतिहास तो पांच हजार साल पुरानी बुढ़िया है| जिसे न कोई सुनना चाहता न कोई सुनाना चाहता| हर किसी को अपना पसंदीदा किस्सा सुनना है – किस्सा किस्सागोई हो या कथावाचन या फिर कत्थक| हर किसी की ताल अलग है|

भारत विभाजन की बात कहिये तो किसी को कम्बोज और गांधार याद नहीं आयेंगे| भारत की एकता करने वालों को पता नहीं रहता कि अहोम और सातवाहन कौन है| भारत के पुरातन और सनातन की बात करने वाले गोंड और भील को देखकर आधुनिक हो जाते हैं| सिन्धु वालों को संगम का पता नहीं रहता| आखिर इतिहास रुपी बूढ़ी बुढ़िया किसे क्या कहानी सुनाए| हर किसी को जब तब कुछ न कुछ शिकायत मिल जो जाती है|

कोई पूछता है लक्ष्मीबाई के साथ झलकारी बाई को क्यों नहीं पढ़ाते तो किसी को राजद्रोह के मुक़दमे में  मंगल पाण्डेय के मुख्य आरोपी न होने की चिंता होने लगती है| जिन्हें महाराणा प्रताप की बहादुरी को सलाम करना होता है वो अक्सर उनके सेनापति का नाम नहीं लेना चाहते|

भारत का इतिहास एक ऐसा विषय है जिसपर हमारा सोशल मीडिया रोज नई शिकायते लिखता है कि इतिहास में यह नहीं पढ़ाया- वह नहीं पढ़ाया| पढाई लिखाई के इन पुतलों को जितना भी इतिहास पढ़ाया – उतना भी नहीं पढ़ पाए| पांच हजार साला के इतिहास को आप कुल सौ घंटा साल की दर से पांच साल पढ़ते है, और शिकायत सरकारों और शिक्षकों से करते हैं|

अगर आपको कुछ नहीं पढ़ाया गया तो आप गर्मियों की छुट्टी में खुद भी कुछ पढ़ लेते| कॉमिक्स और फिल्मों से कभी फुर्सत तो पा लेते|

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