उपशीर्षक – वसीयतें लिख ली जाएँ
वक्त आ गया है कि वसीयतें लिख ली जाएँ – त्रियोदशी कर कर निपटा दी जाए| पितृपक्ष छोडिए – आए न आए!!
नहीं, मैं नकरात्मक नहीं हूँ| मेरे लिए न मौत नकरात्मक है न वसीयत, बीमारी को जरूर मैं नकारात्मक समय समझता हूँ और मानता हूँ| वसीयत अपने बच्चों और शेष परिवार में भविष्य में होने वाले किसी भी झगड़े की सम्भावना को समाप्त करने की बात है|
इस समय वसीयत का महत्त्व बढ़ जाता है| किसी भी होनी-अनहोनी से समय परिवार के लिए बहुत कुछ जानना समझना और बचाना जरूरी है| साथ ही यह भी जरूरी है कि अपना जीवन भी ख़तरे में न पड़े|
सबसे पहले एक अपनी सारी संपत्ति और उधारियों का हिसाब लगाएं| अगले एक वर्ष के हिसाब से उधारियों के चुकाने का इंतजाम करने और घर खर्च का हिसाब करें| इस के साथ अन्य जरूरी जिम्मेदारियों के खर्च का बजट तैयार कर लें| बची संपत्ति के स्वमित्व तय कर दें| मैं सिर्फ़ सामान्य जानकारी लायक बात ही यहाँ कह रहा हूँ| अगर आप किसी प्रकार की दुविधा में हैं तो किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं| यह भी तय करें वसीयत का पता किसे हो और किसे न हो|
ध्यान दें आपके सभी ईमेल, सोशल मीडिया आदि एकाउंट्स भी आपकी संपत्ति हैं| आपकी मृत्यु के बाद इनका क्या करना है, यह बहुत जरूरी है| सभी सेवा प्रदाता आपके निर्णय को सुरक्षित रखते हैं और आपके अकाउंट को आपके जाने के बाद आर्काइव या बंद करने जैसे विकल्प आपके सामने रखते हैं| ध्यंद दें आपके एकाउंट्स में बहुत सी ऐसी जानकारी होती हैं जो बात में घर परिवार के लिए जरूरी हो|