उपशीर्षक – देर आयद हमेशा दुरुस्त आयद नहीं
बात शुरू करने से पहले: वास्तविक तौर पर महान अभिनेता माने जा सकने वाले इरफ़ान खान को कैंसर ने मानवता से छीन लिया| उन्होंने कम फ़िल्में कीं, मगर अच्छा प्रभाव छोड़ा|
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शाम होते होते केंद्रीय गृह मंत्रालय का यह निर्णय सामने आया कि लॉक डाउन में फँसे हुए प्रवासी मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों को उनके घर जाने के लिए अंतराज्यीय यातायात शुरू करने की अनुमति दे दी गई है| यह अनुमति वास्तव में लॉक डाउन के पहले दिन होनी चाहिए थी, बल्कि ट्रेन सेवायें इन लोगों को यथास्थान पहुँचाने के बाद बंद होनी चाहिए थीं| इसकी कीमत इन लोगों ने भारी अवसाद, तनाव, आर्थिक तंगी, अनुत्पादक कार्य और समय की बर्बादी के बीच असुरक्षित आवास में असुरक्षित भोजन करते हुए करोना संक्रमण के ख़तरे के बीच रहकर चुकाई है| सरकार इन सभी लोगों को अनावश्यक रूप से दुर्भाग्य के सहारे छोड़े हुई थी| अब जब यह लोग भर लौटेंगे तो इसमें लम्बी कानूनी और स्वास्थ्य प्रक्रिया का होना आवश्यक होगा ही, साथ ही इन सभी को मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक होने में महीनों का समय लगेगा| इन सभी लोगों को घर पहुँचने से ठीक पहले या ठीक बाद चौदह दिन तक के एकांतवास (क्वॉरंटीन) में रहना होगा| यह तथ्य और भी कठिनाई व्यक्त करता है कि हाल में काशी से तमिलनाडू और नांदेड़ साहब से पंजाब लौटा आकर लाये गए तीर्थ यात्रियों में यह यमदूत करोना संक्रमित बनाने में कामयाब रहा है| ध्यान रहे, सूरत में मजदूरों ने दंगा किया था और दिल्ली और मुम्बई में मजदूरों की हजारों मजदूरों की भीड़ अलग अलग समय में घर जाने की आशा में घर से निकल चुकी थी| दुनिया भर में भारतीय मजदूरों और छात्रों की हालत को देखते हुए इस अन्यथा प्रशंसित लॉक डाउन की कड़ी आलोचना होने लगी थी|
सरकार की दिशाहीन नीतियों की बेहद कड़ी आलोचना करने के साथ ही हमें इस बाद के लिए सरकार को धन्यवाद देना चाहिए की कम से कम उसने अपनी इस बुरी गलती को सुधारा और स्तिथियों को और अधिक ख़राब होने से शायद बचा लिया है|
यह निर्णय यह भी स्पष्ट करता है कि लॉक डाउन बढ़ाया जा रहा है, वर्ना लॉक डाउन की प्रस्तावित समाप्ति से चार दिन पहले इस निर्णय का कोई औचित्य नहीं है|
अब यदि सरकार सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यमों और उनके करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक दो दिन में उचित निर्णय और कर ले तो मुझे लगता है, देश एक और माह का लॉक डाउन सँभालने का प्रयास कर सकता है| यह अलग बात है कि लम्बा लॉक डाउन उचित रहेगा या नहीं यह दस बीस साल बाद इतिहास की पुस्तकों से पता चलेगा|