उपशीर्षक – राहत में कमी
बाजार में बढ़ी हुई सख्ती देख कर लगता है कि सरकार का रुख़ और कड़ा हो रहा है और बहुत सी ढिलाई आसानी से अमल में नहीं आ पाएगी| दांया बांया कर कर लोगों द्वारा अपने कार्यालय खोलने की पूरी तैयारियाँ है| बहुत से कार्यालय कल खुलेंगे| घर में चिंता का माहौल है|
दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और कर्णाटक की सरकारें बिना किसी राहत के लॉक डाउन को चलने के आदेश दे चुकी हैं| राज्य सरकारों का यह आदेश केंद्र सरकार के आदेश में दिए गए अधिकारों के तहत है और इसमें कोई विभेद नहीं है| यहाँ तक की केंद्र सरकार ने भी कुछ छूटों में वापिस कमी की है| देखना यह है कि राज्य सरकार के आदेश को कड़ाई से लागू किया जाता है या कठिनाई बढ़ने का खतरा उठाया जाता है| उम्मीद है दिल्ली राजनीति के दलदल में नहीं फंसेगा|
मरने वालों की संख्या देश में पांच सौ और पीड़ितों की सोलह हजार के पार निकल चुकी है| अन्य देशों के मुकाबले यह संख्या कम है, परन्तु ग्राफ़ के नीचे आने तक ख़ुशफ़हमी पाल लेना गलत होगा – हम बीमारी के प्रसार को टालने में कामयाब जरूर हुए हैं| परन्तु बीमारी की समाप्ति की घोषणा तब तक नहीं की जा सकती जब तक बीमारों की संख्या बढ़ने की ख़बरे आती रहेंगी| १९ अप्रेल की शाम पांच बजे, मन्त्रालय की वेबसाइट १३,२९५ लोगों के इलाज जारी होने के बारे में बता रही है|
मैं बहुत से कार्य समय पर नहीं कर पा रहा हूँ| घर से काम करने की पुरानी आदत के बाद भी कई रुकावटें हैं| घरेलू काम जो नौकर चाकर कर लेते हैं, उन्हें करना एक पहलू मात्र हैं| साथ ही इन कामों के साथ में ऑडियो पुस्तकें सुन रहा हूँ| सामाजिक चिंताएं मुझे व्यथित तो करती हैं पर इतना नहीं कि संतुलन खो बैठा जाए| भविष्य, जिसकी चिंता अनावश्यक है, उचित योजना का विषय है| योजना है, लागू करना सरल नहीं हो पाता| बहुत कुछ समझ से परे है| प्रश्न मानसिक रूप से अपने को दुरुस्त रखने का ही नहीं अपना ध्यान आवश्यक कार्यों में बनाए रखने का भी है|