उपशीर्षक – मध्यवर्गीय असंवेदना
केंद्र सरकार और अधिकतर राज्य सरकारें भले ही सम्यक दृष्टिकोण से करोना से लड़ने का प्रयास कर रहीं हों, विपक्ष भले ही सरकार के साथ खड़ा हो, परन्तु यह लड़ाई को वर्ग-भेद, धर्म-भेद, और शायद जाति भेद से प्रभावित हो रही है| अफ़सोस यह भी है कि धर्मान्धता और धर्म-भेद भले ही खुल कर सामने आया है, परन्तु वर्गभेद अधिक ख़तरनाक रूप से इस लड़ाई को प्रभावित कर रहा है|
भारत सहित दुनिया भर में शुरू से ही करोना ने हवाई यात्राओं के माध्यम से प्रवेश करते हुए मुख्यतः उच्च मध्यवर्ग और मध्य वर्ग को अधिक प्रभावित किया है, परन्तु इससे हो रही लड़ाई निम्न वर्ग के विरूद्ध असंवेदना के साथ शुरू हुई है|
रोग के खतरनाक वाहक होने के उच्चतम खतरों के बाद भी, उच्च मध्यवर्ग विदेशों से अपने घर वापिस आने में सरकारी सहायता और विमान प्राप्त करने में सफल रहा| इस वर्ग का एक बड़ा तबका लॉक डाउन के बावजूद सम्बंधित राज्य सरकारों की सहायता से हरिद्वार से अहमदाबाद और वाराणसी से आन्ध्र प्रदेश वापिस पहुँचाया गया|[i] यह सभी लोगों जहाँ रह रहे थे वहाँ इनके पास उचित रहना, खाना, देखभाल और इनका पूरा ध्यान रखने की व्यवस्था थी| परन्तु यह परिवार से दूर थे, इन्हें परिवार और परिवार को इनकी चिंता थी| क्या भारत के निम्न वर्ग के पास परिवार और पारिवारिक जिम्मेदारी नहीं है?
परन्तु पहले जब दिल्ली और बाद में सूरत और मुंबई के निम्न वर्ग ने घर वापिस जाने की अनुमति, सुविधा और सहायता मांगी तो उन्हें सरकारी लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा| अफसोसनाक रूप से दिल्ली से एक बहुत बड़ा निम्न वर्गीय समुदाय पैदल ही घर की चल दिया| कौन सात दिन तक भूखा प्यासा पैदल लुधियाना और दिल्ली से चलकर बरेली या पटना जाता है? केरल से बिहार तक की यात्रायें दुनिया भर के समाचारों में दर्ज हुईं| जिस समय यह सब हो रहा था, निम्न वर्ग में करोना के संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया था| मैं मानता हूँ, खतरा था और परन्तु बेहद सरल उपाय भी| यात्रा से पहले और बाद में जाँच और बहुत जरूरत होने पर कुछ दिन निगाहबंदी|
भारत में कुलीन ब्राह्मण भी अगर निम्नवर्गीय हो तो तीसरे दर्जे का नागरिक होता है| यह बात अलग है कि धर्म और जाति के नाम पर वो अपने आप को कुछ भी समझता रहे|
खैर, मुंबई में कल की घटना के लिए एक पत्रकार को ट्रेन चलने की अफवाह फ़ैलाने के लिए गिरफ़्तार किया गया है| भावनाओं का दुष्प्रयोग किसी ने भी किया हो भावनाएं है और उनका विष्फोट कष्टप्रद होगा| इसलिए उचित कदम उठने चाहिए|
[i] https://m.jagran.com/uttar-pradesh/varanasi-city-twenty-buses-carrying-900-pilgrims-from-south-india-left-for-varanasi-20188325.html