माँ अक्सर कहतीं थीं, दुनिया किराए का घर है, एक दिन चले जाना है| अजीब था यह निष्कर्ष| जिनके घर अपने होते हैं वो क्या घर नहीं छोड़ते? या कि दुनिया नहीं छोड़ते?
किरायेदार को मोह नहीं होता| किस का मोह| मोह तो मकान मालिक का काम है| जो खुद खड़े होकर मकान ने ईंट गारा लगवाए उस का मोह देखते ही बनता है, मकान क्या उस में जड़ी हुई एक लोहे की एक कील भी नहीं छोड़ना|
किराए के मकान में पैदा होना भी अजीब अनुभव है| आपका लंगोटिया यार भी आपकी किराएदारी का उलहाना रखता है| दीन दुनिया के बहुत से व्यवहार मकान मालिकों में निपट जाते हैं और किरायेदार दूर दूर से अपना पड़ोस देखता रहता है| लम्बे अरसे तक रहने वाले किराएदार अच्छे चाल चलन के बूते कभी पास पड़ोस कुछ रिश्ते बना लेते हैं| यह रिश्ता खतरे की तरह देखा जाता है|
किराएदार का तो अपने मकान के दर-ओ-दीवार से भी कोई रिश्ता नहीं होता| घर गृहस्थी का कोई बड़ा सामान किराएदार नहीं ले पाते| मकान सजाने के सपने अक्सर पूरे नहीं होते| छत पर ईरानी फ़ानूस टांगने का सपना देखना किस किराएदार को नसीब होता है| मकान के हर कोने से पराएपन गूँज सुनाई देती है| दूसरी मंजिल पर रहने वाले किरायदार के बच्चे रस्सी कूद क्या लंगड़ी टांग भी खेलने के लिए गली नुक्कड़ का किनारा ढूंढते नजर आते हैं| पुरानी फिल्मों में किराएदार की बेचारगी की सही बानगी मिलती थी|
जिन दिनों सरकारी नौकरियां तरकारी की तरह बहुतायत में होती थीं तो सरकारी नौकरी वाले किरायेदार अक्सर अपनी अलग दुनिया बनाकर रखते थे| उन नौकरियों के दिन अलग होते थे| केवल सरकारी किरायेदार का रुतवा मालिक मकान के रुतबे से बड़ा होता था|
किराएदार अक्सर खलनायक माने जाते हैं जो मकानों पर कब्ज़ा कर लेते हैं, बेचारा दुकान मकान मालिक दो चार जिन्दगी अपने पुश्तेनी मकान को खाली कराने के लिए दीवानी कचहरी के चक्कर काटता है| मामला कभी भी सत्र न्यायालय भी जाने का अंदेशा बना रहता है|