सत्ता के सिंहासन पर हर युग में रावण आएंगे
रामायण के हर मंचन में पुतले ख़ूब जलाएंगे||
नाम धर्म की बातें होंगी, कर्म कांड अपनाएंगे,
कर्मयोग को करने वाले सत्यनाशी कहलायेंगे||
सिंहासन के चारण चार देशभक्त हो जायेंगे,
देश कर्म को करने वाले देश निकाले जायेंगे||
बातों की बारिश में राष्ट्र कर्म बह जायेंगे|
पापकर्म को करने वाले गंगा खूब नहायेंगे||
गंगा जमुना के पानी जब कलुषित हो जायेंगे,
जल प्रदूषण करने वाले पूण्यपुरुष कहलायेंगे||
भूखे पेट सोने वाले राष्ट्र बोझ कहलायेंगे,
कर चोरों के सिर पर स्वर्ण मुकुट शोभायेंगे||
संसद की इन प्राचीरों से राजा जोर लगायेंगे,
सोने की हर लंका को रावण खुद खा जायेंगे||