कला प्रदर्शनियों में मेरा जाना ऐसा ही रहा है जैसे कोई भूखा बेरोजगार मर्द बनारसी रेशम साड़ी भण्डार पहुँच जाए| इन प्रदर्शनियों में जाकर मेरे पास अपने आप को भरमाये रखने का एक ही तरीका है: अपनी काँख दबाकर और आँख गढ़ाकर कलाचित्रों को चिंदी चिंदी देखने लगना| कभी किसी चित्रकार ने कुछ पूछ लिया तो ब्रश स्ट्रोक से लेकर रंग बिरंग तक कुछ भी भारीभरकम ऊलजुलूल कह दिया| कुछ बेचारे चित्रकार बाकायदा अपनी प्रदर्शनी का निमंत्रण भेजने लगे| हकीकत यह है कि मैं कला के बारे में आजतक कुछ भी नहीं जानता, मगर प्रदर्शनी में चला जाता हूँ| फिर भी चित्रकार से कुछ भी पूछने से बचता हूँ, क्योंकि उनका नजरिया अक्सर कलाचित्र के बनने के साथ ही पुराना हो चुका होता है| मगर इस सब में थोडा बहुत लगाव पैदा हुआ| विधिक और साहित्यिक सभाओं से इतर कला प्रदर्शनियों में आपको विषयवस्तु से सीधी बातचीत का अवसर मिलता है|
अभी हाल में साहित्य पत्रिका सदानीरा के ग्रीष्म २०१९ अंक के मुखपृष्ठ पर छपने जा रहा कलाचित्र मुझे पसंद आया| इसमें एक अभिव्यक्ति की सरलता और विचार की तरलता का अनुभव होता था| जब चित्रकार ने अपने इन्स्टाग्राम पर इसे डाला तो इसने मुझे आकर्षित किया| मैं सिर्फ पत्रिका से ही संतोष कर लेना चाहता था| फिर भी टिपण्णी छोड़ दी कि यह चित्र कुछ दिन में मेरे घर आने वाला है – इशारा पत्रिका की तरफ था| पूछा गया कलाचित्र भी ले आया जाए आपके लिए? मुझे लगा मैंने अपनी फटी जेब भरे चौराहे पर पतलून से बाहर निकाल दी है| फिर भी पूछा, कीमत| मुझे दाम लगाने के लिए कहा गया| कला का क्या दाम (price), उसकी अहमियत (value) होती है| दाम तो खरीददार की जरूरत में होता है| अहमियत और दाम का रिश्ता तो अर्थशास्त्र भी नहीं निकाल पाया| मैंने मात्र अपना बजट बताया| उफ़; बात पक्की, मैंने सोचा| अब कठिनाई यह है कि छोटे से घर में आप इसे सजायेंगे कहाँ? उधर चित्रकार की समस्या थी, अमेरिका से दिल्ली तक का सफ़र और दिल्ली लाकर उसे फ्रेम कराकर मुझ तक सकुशल पहुँचाना|
समय बीता और एक दिन अचानक कलाचित्र मेरे घर में था| तेज बारिश का दिन था| कामकाजी दिन की शाम, बारिश और अरविंदो मार्ग|
अब चित्रकार की बारी थी – अपने ही चित्र को चिंदी चिंदी देखने की| मैं शांत था, मैं एक माँ से उसका बच्चा गोद ले रहा था| मेरे अन्दर का कानूनची अचानक बहुत से क़ानूनी पहलूओं पर खुदबुदा रहा था| मुझे एक कलाचित्र को पालना है, शायद कुछ और कलाचित्रों को भी|
इस कलाचित्र की खरीद के सम्बन्ध में बहुत कुछ सोशल मीडिया पर है| बहुत से लोग जो मौलिक कला खरीदना चाहते हैं उनके लिए मैं पूरी परिघटना यहाँ नीचे लगा रहा हूँ|