कभी सोचा है आपने – जेल में कौन रहता है? आतंकवादी, नक्सलवादी, घोटालेबाज, अपराधी??
अक्सर नहीं| जेल में आम तौर पर परिवारी लोग रहते हैं| मेरे और आपके जैसे|
जेल हम सब का घर हो सकता है – कभी भी कहीं भी| यह कुछ हद तक हमारे प्रिय परिवार पर निर्भर करता है तो कुछ पुलिस और समाज पर| हम में से कोई भी कभी भी अपराधी करार हो सकता है| अक्सर विश्वास किया जाता है, एक बार पकड़े जायेंगे तो पुलिस कूट कूट कर किसी का भी अपराधी तत्त्व बाहर निकाल ही लाएगी| पुलिस यह करे न करे, समाज जेल जाने पर अपराधी होने का हो पक्का वाला ठप्पा लगाएगा| उसके लिए किसी का आतंकवादी होना जरूरी नहीं| भले ही हम किसी भी अपराधी को देखते ही या पकड़ते ही गोली मार देने की बात करें, मगर अगला जेल में अगला निवास किसी का भी हो सकता है|
कभी सोचा है – जेल बाकि के जीवन का आपका घर|
“ऐसे बहुत से प्रकरण देखे जहाँ भाई खेत के छोटे से टुकड़े के लिए खून के प्यासे हो गए, कितनी बीवियों ने अपने प्रेमियों के लिए अपने पति का खून कर दिया , कितने पतियों ने अपनी बीवी को शंका के आधार पर जिन्दा जला दिया, कितनी बहुओं ने केवल अपने अहंकार की तुष्टि और पैसों के लिए वृद्ध सास ससुर, दूर दूर की ननद, देवरानी, जेठानियों को झूठे दहेज़ के केस में जेल भेजकर आनंद मनाया|”
– जेल अधीक्षक, मध्य प्रदेश
लालच में आप देश नहीं, वह सपना बेचते और तोड़ते हैं, जिसे हम और आप घर कहते हैं| या तो खुद जेल पहुँच जाते हैं या अपने किसी सगे को जेल भेज देते हैं| दोनों में से कुछ भी बात हो, सबको मिलता है – थाना कचहरी अदालत और मकान की सूनी दीवारें| फिर ज्यादा जोर चला तो पारिवारिक रंजिश शुरू हो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है, तब भी जब गाँव, शहर, मजहब सब बदल जाते हैं|
आपका घर और आपका पास पड़ौस दुनिया की सबसे खौफ़नाक जगह हैं| यहाँ से सीधा रास्ता उस घर जाता है जिसे आम हिन्दुस्तानी मजाक में ससुराल कहता है| यह तभी तक स्वर्ग हैं, जब तक यहाँ सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है|
ध्यान रहे पारिवारिक झगड़ों में विजय नहीं होती – कौरव या पाण्डव – किसी का वंश नहीं बचता|
कम लिखा ज्यादा समझना|