आपातकाल भारत में आज चालीस साल बाद भी मुद्दा बन कर खड़ा है| एक पक्ष इन दिनों किसी अघोषित आपातकाल से कष्ट महसूस करता है| दूसरा पक्ष किसी परोक्ष आपातकाल को बिना सकारे और नकारे आपातकाल के दुःख आज भी याद करता हैं| कुल मिलाकर दोनों पक्ष मानते हैं कि आपातकाल दुःख भरा समय था और इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए| विवाद केवल इस बात में हो सकता है कि आज आपातकाल जैसा माहौल है या नहीं| मुझे इस विवाद में दिलचस्पी नहीं है| भारत में हर सरकार किसी न किसी रूप में और किसी न किसी रूप में मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों के विरुद्ध काम करती रही हैं|
आज का समय मह्त्वपूर्ण इसलिए है कि दोनों विरोधी धड़े किसी न किसी रूप में आपातकाल और उस के समर्थन से जुड़े रहे हैं|
आपातकाल की जिम्मेदारी का उत्तराधिकारी कौन हैं? इंदिरागांधी का कौन सा पुत्र अथवा पौत्र?
इंदिरा गाँधी के बड़े पुत्र राजीव गाँधी की आपातकाल में किसी भूमिका का कोई उल्लेख नहीं रहा है| यह अलग बात हैं कि परोक्ष रूप से उन्होंने अपने छोटे भाई और माँ का समर्थन किया हो|
उस समय के युवराज माने जाने वाले इंदिरा गाँधी की छोटे पुत्र संजय गाँधी की आपातकाल में भूमिका जग जाहिर है| बल्कि आपातकाल को कई विश्लेषक उनके दिमाग की उपज मानते रहे हैं| परन्तु आपातकाल हटने संजय गाँधी के अपनी माँ से शायद अच्छे सम्बन्ध नहीं रहे| उनकी मृत्यु के बाद उनका परिवार इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी परिवार के दूर हो गया| मेनका संजय गाँधी और वरुण संजय गाँधी, संजय गाँधी की उस विरासत को काफी हद तक कांग्रेस और राजीव गाँधी परिवार को सोंपने में कामयाब रहे हैं|
आपातकाल के संभावित लाभार्थी आज अपने राजनैतिक दल के साथ आपातकाल के विरोधियों के साथ गुपचुप खड़े दिखाई देते हैं| परन्तु, आपातकाल का यही विरोधी धड़ा उस समय की कई तथाकथित अच्छाइयों को मानक की तरह प्रयोग भी करता है| मुस्लिम विरोध, नागरिकों के सीमित अधिकार, कड़ा नागरिक अनुशासन उनके प्रिय गौरव हैं|
अभी हाल में मैंने फेसबुक पर एक मतदान करवाया था:
आज जनता को यह स्पष्ट नहीं है कि संजय गाँधी को वह किस राजनैतिक दल के साथ खड़ा कर आकर देखें| संजय गाँधी अपने पूरे जीवन में कांग्रेस में रहे| संजय गाँधी की पूरी राजनैतिक विरासत अपनी पूरी जिम्मेदारी और नकारात्मकता के साथ कांग्रेस के साथ हैं|
आश्चर्यजनक रूप से संजय गाँधी के सभी निजी विचार और कट्टरता उनके परिवार के साथ में भारतीय जनता पार्टी में मौजूत हैं| वास्तव में आज के दोनों बड़ी राजनैतिक दल संजय गाँधी की विरासत, आभा और प्रभा मंडल की प्रतिछाया हैं| दोनों दल इंदिरा गाँधी परिवार के एक एक धड़े के साथ खड़े हैं|
जनता के पास इस सब को देखने समझने और इस में उलझने के लिए अपने अपने चश्मे हैं|