मंटो : एक बदनाम लेखक


मंटो की कई कहानियाँ बचपन से सुनी और पढ़ी| मंटो को पढ़ने के बाद किसी और कहानी को पढ़ें तो फ़ीका लगता है| मंटो की कहीं जेहन में उतरती हो तो पता नहीं, रूह में उतरती है| अलीगढ़ में एक पान की दुकान पर एक बुजुर्ग ने कहा था, अगर मंटो को हिन्दुस्तान पाकिस्तान के सारे लोग पढ़ लें तो कम से कम सरहद न हो| मैंने पुछा जमीन पर या ज़मीर पर…  बोले बरखुरदार लगता है, पढ़े लिखे नहीं हो अभी| आज मानता हूँ, जिसने मंटो नहीं पढ़ा जो अनपढ़ है|

हिंदुस्तान और पाकिस्तान के आवाम रहती दुनियां में सबसे बेहतर हैं कि वो अपनी जुबान में मंटो और ग़ालिब को पढ़ सकते हैं| जब से सुना की रवीश कुमार रेडियो पर मंटो की कहानियाँ पढेंगे, मैं जब भुन गया हूँ| कमरे में बंद हूँ और मेरे हाथ में किताब है, विनोद भट्ट की “मंटो: एक बदनाम लेखक”|

मेरी औकात नहीं, मैं मंटो की कहानियों पर लिखूं| लिखूं तो विनोद भट्ट के लिखे पर भी क्या लिखूं? वो तो मंटो के बारे में लिख ही चुके हैं| बहुत चालाकी से लिखा हैं उन्होंने, कम से कम शब्द में काम चलाया है; ज्यादा शब्द लिखते तो शब्द और भी कम पड़ जाते; शायद उनके खुद के भी कम पड़ने का बन आता|

वो मंटो जिसकी महफ़िल में सरदार जाफ़री, फैज़, कृशन  चंदर, अब्बास, मजाज, राजेंद्र सिंह बेदी, इस्मत चुगताई, अशोक कुमार जैसे लोग रहते हैं और जो खुद अपनी उस महफ़िल में भी तन्हा रहता हो| वो मंटो जो उर्दू में फ़ैल हुआ और पढ़ न सका| वो मंटो जो कहानी लिखने से पहले ७८६ लिखता था और अगर आज ऐसा करता तो फांसी उस से मुहब्बत करती|

मंटो की तीन कहानियों “बू”, “काली सलवार” और “ठंडा गोश्त” के लिए उसे तीन महीने की सजा और तीन सौ रूपए जुर्माना हुआ था| (ये कहानियाँ, वक्त से बहुत पहले लिखीं गयीं हैं| आज तक उनके लिखने का सही वक्त नहीं आया, और न शायद आयेगा| यह जुर्माना वो अवार्ड है जिसपर मंटो के हर चाहने वाले को नाज होगा|)

मंटो ने अपनी कब्र का पत्थर खुद खुदवाया था| बकौल उसके, वो अब भी मानो मिटटी के नीचे सोचे रहा है कि वह बड़ा अफसानानिगार है या खुदा|  (पत्थर 18 अगस्त 1954 को लिखवाया गया और 18 जनवरी 1955 को काम आ गया|)

विनोद भट्ट की यह किताब, मंटो, उसकी फिदरत और उसके अफसानों को बिलकुल न जानने वालों के लिए एक शुरूआती किताब भर है, मगर बहुत है| जिन्हें मंटो को पढ़ने की भूख होगी वो और किताबें, और अफ़साने और नज़रिए अपने आप खोज लेंगे|

किताब में मंटो के जीवन के बारे में संक्षेप में दिया गया है, वरना तो मंटो के बारे में बात ख़त्म नहीं हो सकती| तमाम जरूरी किस्से दिए गए हैं जो उसके बारे में चिराग की कुछ रौशनी डालते हैं| सबसे बड़ी बात, मंटो की छः शानदार कहानियाँ है| मगर मंटो एक भूख है| यह किताब महज एक शुरूआत|

पुस्तक: मंटो: एक बदनाम लेखक
लेखक: विनोद भट्ट
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
मूल्य: जब खरीदा था तब 50 रुपये
संस्करण: पहला 1999, तीसरी आवृत्ति 2010
ISBN: 9788171787319
मंटो की किताबें यहाँ से खरीदी जा सकती हैं|

Advertisement

कृपया, अपने बहुमूल्य विचार यहाँ अवश्य लिखें...

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.