छोटा था मैं| नानाजी कहानी सुना रहे थे| “राक्षस की जान तोते में है…, राक्षस पर तलवार चलने से कुछ नहीं होगा… उसका तोता ढूँढना होगा|”
आज मेरा बेटा छोटा है| मैं कहानी सुना रहा हूँ: “राक्षस की जान तोते में है…, राक्षस पर तलवार चलने से कुछ नहीं होगा… उसका तोता ढूँढना होगा|” “और पापा आपकी जान तो मोबाइल में है|” तीन साल की उम्र में एक बड़ा सच|
मोबाइल, शरीर का वो हिस्सा जिस में दिमाग का बड़ा हिस्सा रहता है| आपके सम्बन्ध, यादें, कमजोरियां, ताकत, शौक, धन – दौलत, योजनायें, गपशप, आपके सारे काले सफ़ेद|
मेरा निजी पुस्तकालय मेरी जेब में चलता है| मेरा बैंक और ट्रेवल एजेंट मुट्ठी में रहते हैं| मेरे पसंदीदा पुराने गायकों की रूह हमेशा मेरे साथ है|
बाग़ के लगे इस पिलखुन के पेड़ के नीचे चुपचाप लेटा हूँ| बस सोच रहा हूँ| मेरी जान मोबाइल में बसती हैं| अजीब सा लग रहा है|
तभी उपर से एक तोता उड़ गया|
आपके विचार बहुत ही गहरे हैं.
तोते का उड़ जाने से आपका तात्पर्य क्या राक्षस के ज़िंदा रहने से है?
कृपया आप अपनी सोच को खुलकर प्रकट करें.
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हो सकता है वो राक्षस के प्राण हों, या फिर मेरा अवचेतन|
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