हाल में सुब्रमणियास्वामी ने प्रियंका गाँधी वाड्रा के विरुद्ध एक से अधिक DIN रखने के आरोप में शिकायत दर्ज की है| इसके बाद उन्होंने कारती चिदंबरम के विरुद्ध भी शिकायत दर्ज कराई| पहले यह चुनावी मामले लगते थे, परन्तु चुनावों के बाद भी DIN को लेकर उठा विवाद थम नहीं रहा है| सभी दल रोज नए लोगों पर DIN सम्बन्धी आरोप लगा रहे हैं|
हाल में दो मंत्रियों नितिन गडकरी और पियूष गोयल के ऊपर भी यही आरोप लगाये गए|
अभी ३१ मार्च २०१४ तक, एक से अधिक DIN रखना या उनके लिए प्रार्थना करने के लिए पांच हजार रुपये तक के दंड का प्रावधान था और अगर यह गलती ठीक नहीं की जा सकी तो पांच सौ रूपए प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त दंड लगता था| इस सजा को अब बढ़ा कर छः महीने की कैद और पचास हजार रुपये तक के जुर्माने के रूप में बढ़ा दिया गया है| साथ में अतिरिक्त दण्ड भी लगता हैं|
जब मैंने स्वयं इन आरोपों को जांचा तो पाया कि इस प्रकार के सभी DIN में कुछ समानता थी| आइये समझें|
पहले आवेदक द्वारा DIN के लिए ऑनलाइन प्रार्थनापत्र भरना पड़ता है, जिस से एक प्रोविजनल DIN मिलता है| इस प्रोविजनल DIN के साथ ही प्रार्थना पत्र को छापकर, सभी जरूरी कागजात लगाकर, पैसा जमा करने के सबूत के साथ जमा कराया जाता है| कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय का DIN विभाग इस DIN को अंतिम अनुमति देता हैं|
अनुभव के आधार पर मैं जानता हूँ कि स्वीकार होने वाले प्रार्थना पत्रों से अधिक अस्वीकार होने वाले प्रार्थना पत्र हैं| संलग्न कागजन में पिता के नाम का अंतर, वर्तनी सम्बन्धी गलती, या और भी कई अन्य कारण है जिनके कारण प्रोविजनल DIN नामंजूर होता है| यह सभी DIN मंत्रालय के पोर्टल MCA21 पर आवेदक के नाम पर दिखाई देते हैं| मगर अभी और भी कुछ जानना शेष है|
यदि आवेदक से फॉर्म भरते समय कोई गलती सूचना भर गयी, अथवा लिखने में कुछ गलती हो गयीं, तो भी प्रोविजनल DIN दे दिया जाता है| कई बार आवेदक फॉर्म भरने के बाद आगे कार्यवाहीं नहीं करता, तो भी प्रोविजनल DIN दे दिया जाता है| आवेदक का प्रोविजनल DIN हर हाल में मंत्रालय के पोर्टल पर दिखाई देता है, तब भी जब अंतिम और मान्य DIN मिल जाये|
इसके कई परिणाम होते हैं:
१. मंत्रालय पोर्टल् पर आवेदक के नाम से कई DIN दिखाई देते हैं;
२. जल्दी मंत्रालय के पास प्रयोग किये जाने लायक DIN समाप्त हो जायेंगे|
मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने अभी हाल में बताया कि पोर्टल पर एक से अधिक DIN दिखाई देना, किसी आवेदक को गलत साबित नहीं करता है|
कई विचार – विमर्शों के बाद मैंने पाया कि हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा:
१. एक PAN पर एक ही DIN मिल सकता हैं|
२. एक से अधिक DIN किसी गलत तरीके से ही मिल सकते हैं जैसे फर्जी या एक से अधिक PAN|
३. अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक DIN प्रयोग कर रहा है तो यह उसकी गलती का सबूत है|
अपनी स्तिथि को साफ रखने के लिए हम, सूचना का अधिकार प्रयोग कर कर अपने DIN के बारे में सही स्तिथि को पता कर सकते हैं|