भारत में इस्लामिक बैंकिंग की संभावनाएँ


 

अब से लगभग चार वर्ष पूर्व वैटिकन ने पश्चिमी देशों के बैंकों से कहा था कि उन्हें इस्लामिक बैंकिंग के सिद्धांतों से आधार पर व्यवसाय करने के बारे में सोचना चाहिए| अभी कुछ दिन पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत सरकार से कहा है कि देश में इस्लामिक बैंकिग की अनुमति दी जानी चाहिए| ध्यान देने की बात है कि इस्लामिक बैंकिंग मुस्लिम कहे जाने वाले शासनों और देशों में भी बीसवीं शताब्दी में जाकर प्रचलित हुई है| रिजर्व बैंक के मुताबिक इस समय मौजूद भारतीय क़ानून देश में औपचारिक रूप से इस्लामिक बैंकिंग की इजाजत नहीं देते, परन्तु नॉन – बैंकिंग सेक्टर में इस प्रकार के कुछ संस्थान है जो इस्लामिक बैंकिंग के आधार पर सीमित रूप से कार्य कर रहे हैं|

इस बात में कोई शक नहीं है कि मानवता शताब्दियों से सूदखोरी के विरुद्ध रही है| कुरान पाक सूदखोरी सात बड़े पापों में गिनता है| सूद को आप मेहनत की कमाई की परिभाषा में नहीं ला सकते हैं| आप यदि जाति आधारित भारतीय समाज पर भी निगाह डालें तो पाएंगे की सूदखोरी का धंधा करने वाले समुदायों को समाज में अधिक सम्मान नहीं दिया जाता| अब प्रश्न उठता है कि बिना सूद बैंकिंग कैसी?

अगर आप बैंक के पास जाकर कहे कि आपको जर्मनी से एक करोड रुपये की कुछ मशीन खरीदनी है, और बैंक आपको मशीन खरीद कर दे दे और कहे कि आप कुल जमा सवा करोड रुपया अपनी पसंद की किस्तों में दे देना| जमानत के तौर पर दो करोड की जमीन रखने होगी|

अगर आप को एक करोड की जमीन अपना उपक्रम लगाने के लिए चाहिए और बैंक वो जमीन आप को खरीद कर प्रयोग करने के लिए दे दे.| आपको किस्तों में इतना पैसा बैंक को देना है जो आखिरी किस्त के दिन जमीन की पहले से अनुमानित कीमत के बराबर हो जाये|

अब अगर आप बैंक के पास जाए घर खरीदने का कर्जा लेने और बैंक कहे कि आपके द्वारा पसंद किया गया घर बैंक आपको खरीद कर किराये पर दे देगा और दस साल कुछ रकम माहवार किराये पर देने के बाद मकान आपका|

आपको कुछ धंधा करना है और बैंक आपकी कुल पूँजी लागत का ५० फीसदी आपको कर्जा दे और कहे कि आप जब तक जब तक मूल धन नहीं चूका देते, तब तक मुनाफे में २० फीसदी का हिस्सा देते रहे|

आप एक करोड के सोने के बदले बैंक से सवा करोड का उधार दे और कहे की आप दो साल के भीतर इस सोने को दो करोड में वापस खरीद सकते है|

बैंक आपके बचत खाते में जमा रकम के बदले हर साल ब्याज न देकर कुछ उपहार दे| बैंक आपके सावधि जमा के आधार पर आपको अपने कुल लाभ में से कुछ हिस्सेदारी दे|

बैंक आपको वेंचर कैपिटल मुहैया करा दे| आपके धंधे में प्रेफेरेंस शेयर खरीद ले| अगर दिमाग में विचारों का मंथन चले तो ऐसे कई और तरीके ओ सकते है जो इस्लामिक बैंकिंग के मूलभूत तरीकों से मेल खायेंगे|

मैं मानता हूँ कि पूरी तरह से आप इस्लामिक बैंकिंग के सिद्दांत पर सभी कार्य नहीं कर सकते परन्तु आप आज के सूदखोर बैंक के सिद्दांत पर भी पूँजीवाद नहीं चला पाए हैं| समाजवादी सिद्दांतों से ख़ारिज किये जाने के बीस वर्ष के भीतर ही पूंजीवाद के महारथी कई बैंक दिवालिया हो चुके है| आपको समय से साथ न सिर्फ नए वरन पुराने विचारों को भी बार बार अजमाना होगा|

इस्लामिक बैंकिंग एक ऐसा विचार है जो मुझे सदा ही आकर्षित करता रहा है और इसे मुझ सहित बहुत से लोग पूंजीवादी सिद्धांत के कमियों को दूर करने के प्रमुख प्रयास के रूप में देखते हैं| दुर्भाग्य से भारिबैं इस्लामिक बैंकिंग को मात्र वर्ग विशेष को बैंकिंग तंत्र से जोड़ने के एक साधन मात्र के रूप में देखती है| मैं विश्व भर के मुस्लिम – विरोधिओं और मुस्लिमों की भावनाओं का आदर करते हुए यह कहना चाहता हूँ कि जिस प्रकार योग, विज्ञान, वैदिक गणित, यूनानी चिकित्सा और आयुर्वैद किसी धर्म विशेष के विचार नहीं है बल्कि मानवीय धरोहर है उसी प्रकार इस्लामिक बैंकिंग किसी की बापौती न होकर मूलतः एक मानवीय विचार है और इसे सभी के द्वारा अपनाया जाना चाहिय|

6 विचार “भारत में इस्लामिक बैंकिंग की संभावनाएँ&rdquo पर;

  1. tujhe pata bhi hai ki tu kya kah raha hai ? is se desh ko arthik labh kaise milega? ye banks to sirf Muslimo ko 0% intrest pe loan degi na ki kisi gair muslims ko, aur jab muslims bina intrest ke loan uthayenge to business me profit bhi unhi ko jyada hoga jis se gair muslims ko business me kaafi nuksaan uthana padega. is se gair muslims sadak pe aa jaayenge. is bank ke through muslims organisations terrorists ke liye fund muhaiya karayengi jis se atanki hamle aur badh jaayenge. ye bharat ki suraksha bewatha ko aur kamzor kar dega aur ye sabhi muslims organisations ki chaal hai jis se wo muslims ko financially strong karke bharat desh ko bhi Islamic desh banaya ja sake. tum to bhai hindu ho nahi sudhre to paakistaan ki hinduo ki tarah hi mita diye jaaoge, tumhare jaisa sabhi hindu bhi inka support karne lage to bharat ko Islamic desh hone se koi nahi bacha paayega.

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    • मान्यवर,
      पहले तो आप हिंदी और देवनागरी को बचाने के लिए लैटिन के स्थान पर देवनागरी का प्रयोग करें|
      भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए “तुझे” जैसे शब्दों के स्थान पर “तुम्हे” या “आप” का प्रयोग अधिक उचित होगा|
      अगर वो लोग इंटरेस्ट नहीं लेंगे तो क्या घर से पैसा देंगे? मान्यवर, वो लोग लाभ में हिस्सा मांग रहें है| शर्तें भी कड़ी है|
      और वैसे भी मुस्लिम समाज में जिस तरह से आज हो रहा है, लोग एक दुसरे को बिना ब्याज पैसा देते है और बाद में किसी अन्य उपहार के साथ बापस ले लेते है| देश में बहुत सारे मुस्लिम लोग व्यवसायी है, मगर कितने मुस्लिम बैंक से पैसा उधार लेते हैं|
      नाहक परेशां न हों| जो कुछ आपसदारी में हो रहा था, वह अब सही रूप में होगा और लोग माफिया के लोगों से पैसा लेने से बचेंगे|

      अपने विचार रखने के लिए धन्यवाद|

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  2. manyawar aishwarya mohan gharana ji aapke vichar janke kafi khushi hui aur aapne suman kumar ji ke sawalo ka jo jawab diya wo vi kafi badiya tha lekin unke ak sawal ka jabab mai dena chahta hu aur wo ye ki “islamic banking” aaj duniya ke bahut sare desho specially nonmuslim desho me vi prachalit hai aur uske 50% customers nonmuslim hai so nonmuslim bhi islamic banking se fayda utha sakta hai logo ko islamic banking ke bare me jankari bahut kam hai aur purvagarah zyada hai agar unke iske faydo ke bare me pata chal jayega to iske liye age ayenge . india ko aap jaise logo ki sakht zarurat hai ummid hai aap hame apne acche acche vicharo se susobhit karte rahenge.

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    • धन्यवाद शहजाद,
      गलत नामकरण बहुत सी समस्याओं की जड़ है| अगर इस्लामिक बैंकिंग, इस्लामिक वास्तुशिल्प, इस्लामिक आतंकवाद, हिन्दू योगी, वैदिक गणित, आदि.. इनमे से किसी भी चीज का कोई सम्बन्ध वास्तव में किसी धर्म से नहीं है| ये अवश्य हो सकता है कि उसका प्रारंभिक विकास करने वाले किसी धर्म को मानते रहे थे या आज उसे किसी धर्म विशेष के लोगों ने हथिया लिया हो|

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      • aj hame zarurat hai logo ko islam ke bare me batane ki kyuki is par galatfahmiyon ki chadar odha ddi gyi hai taki log iski sacchai se dur rahe mere vichar se hindustan me hamare bich akta badhane ka ak hi tariqa hai ki logo ko ak dusre ke dharm ke bare me bataya jay .taki kisi ke bahkawe me aake kisi dharm ke bare me galat vichar na apna le. hindustan me hindu aur muslim bahut dino se rah rhe lekin wo ak dusre ke dharm se bilkul anjan hai kyuki ak dusre ke dharm ke bare me batane ki koshish bilkul na ke barabar hui
        aap ko meri koi baat buri lage to maaf kariyega pyare bhai .ALLAH apko salamat rakhe.

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