पुराने मंदिर


जरूरी नहीं
पुराने मंदिर
खंडहर हों
या कर दिए जाएं।

पंचभूत
वशीभूत कर
साक्षी रहे हों जो
विपदाओं के परिहास का।

जहाँ पूजे गए हो
चिर सनातन देव
आधुनिक सामंत
अंतिम तिलचट्टे।

जिन्होंने चूमे हों,
काल के कपोल।

संभव है,
भुला दिए जायें
यूं ही
शांत निर्वात में।।  

सिर्फ
बतकही की
लाज रखने के लिए॥

ऐश्वर्य मोहन गहराना

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