मोबाइल एप के उधार


अपने मोबाइल या लैपटाप में बहुत जरूरी से अधिक एप रखना मैं अगर पाप नहीं तो अनुचित अवश्य समझता हूँ| मेरे पास कोई बैंकिंग एप नहीं है, न ही कोई उधारखाता या सरकारी एप है| नियम सरल है – जो काम वेबसाइट से हो सकते हैं उनके लिए कोई एप नहीं| वेबसाइट भले ही मैं मोबाइल पर ही खोल लूँ, एप नहीं रखता| बिना मतलब अपने घर कोई जासूस या डाटा चोर बैठने का क्या मतलब| कुछ तथाकथित सामाजिक एप है जो बहुत डाटा खाते है और डाटा भी चुराते हैं| मैं सोच लेता हूँ डाटा बेचकर उनकी तकनीकि का प्रयोग कर रहा हूँ| 

स्पष्टतः कुछ मुफ्त नहीं हैं, कुछ सस्ता नहीं है; और सस्ता या मुफ्त नैतिक नहीं है| जब मैं किसी का काम मुफ्त करते समय उसे एक दिन अपना ग्राहक/यजमान बनाने की सोचता हूँ और भीख भी पुण्य/आशीर्वाद की कामना से देता हूँ, तो मुफ्त क्या हो सकता है? 

व्यवसाय, कॉर्पोरेट, तकनीक, मोबाइल, साइबर और मेटा की दुनिया का सबसे बड़ा भ्रम किसी सेवा, वस्तु, वाक्य, कथन, नृत्य, कला, विचार आदि आदि का मुफ्त या सस्ता होना ही है| 

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फिर क्या मोबाइल एप के उधार सस्ते हो सकते हैं? मेरे जान पहचान में कुछ लोग इस प्रकार के ऋणों का शिकार हो चुके हैं| 

पहली बात यह कि उधारी को मैं आपातकालीन प्रबंध मानता हूँ| मेरे लिए आपातकाल वह है जो जीवन-मृत्यु का प्रश्न है आराम, सहूलियत, बेहद सस्ता आदि कतई आपातकाल नहीं हैं| जी हाँ, मेरे पास क्रेडिट कार्ड है परंतु उसका उधार समय से पहले चुकाना मेरी परंपरा है| मैंने क्रेडिट कार्ड के केवल उसी उधार पर एक बार ब्याज दिया है जो वास्तव में आपातकालीन चिकत्सा संबंधी उधार था| 

दूसरे अगर आप गैर आपातकालीन उधार ले भी रहे हैं तो उसे चुकाने का धन या भविष्यत आय आपके पास हर हाल में होनी चाहिए| उस गैर आपातकालीन उधार के बदले में आपका बीमा भी हो कि आपका उधार संतान या संपत्ति को न चुकाना पड़े| यह समझने की बात है कि मैं व्यापार के लिए कार्यशील पूंजी के लिए उधार का समर्थक हूँ और इसकी सलाह देता हूँ| परंतु यह उधार हर चक्र में चुकाया जाना चाहिए या धंधा छोड़ देना चाहिए| ऐसा न होने पर धंधा ही नहीं, साख भी आपको छोड़ देगी| अन्य व्यापार संबंधी ऋण को मैं आवश्यकता के आधार पर ही देखता हूँ और अनावश्यक ऋण न लेने की सलाह देता हूँ|

तीसरे कार, फर्नीचर आदि ऋण नहीं लेने चाहिए| आजाद ख्याल और मस्त रहने के लिए गृह ऋण से बचना चाहिए| यह आपको बीस तीस साल के लिए बंधुआ मजदूर, बंधुआ किराएदार और बंधुआ मस्तिष्क बना सकता है| वैसे अगर मैं कभी व्यवसायी बनूँ तो उन लोगों को नौकर रखूँगा जिनके पास मोटे गृहऋण के साथ एक दो और ऋण हैं| जिन लोगों के पास भविष्य में बनने वाले घरों के लिए लिया गया गृहऋण हों, उन्हें दया का पात्र मानना चाहिए| कुछ शातिर धनलक्ष्मीभक्त गृहऋण का बहुत बढ़िया प्रयोग करते हैं और संपत्ति बनाने में सफल रहते, उनके प्रति मेरा पूरा आदर और शृद्धा है| आम जन उनकी अंधी नकल न करें, इसके लिए समय, शिक्षा और कौशल का निवेश करना होता है| 

चौथा ऋण लेकर न चुकाने वालों को में विशेष मानता हूँ| इनमें से जो व्यवसायिक सद्प्रयास के बाद भी ऋण नहीं चुका पाते, उनसे मुझे सहानुभूति है| शातिर ऋण चोरों को मैं चोर ही मानता हूँ, परंतु आदर भी प्रदर्शित करता हूँ ताकि मैं समाज में रह सकूँ| आशा है आप आदर करने और आदर प्रदर्शित करने का अंतर समझते हैं| 

यह सब तो मूल बात हुई,अब मुख्य बात पर आते हैं|

बहुत से एप तत्काल उधार की सुविधा देते हैं| यह सभी एक विशेष प्रकार से काम करते हैं| आपके मोबाइल के माध्यम से आपका ही नहीं, आपके सम्बन्धों और उनकी आदतों का भी पूरा पूर्ण चहुंमुखी चरित्रचित्रण बनाकर रखते हैं| इसके साथ चरित्र हनन का भी पूरा इंतजाम तकनीकि की मदद से यह कर सकते हैं| इस प्रकार के मोबाइल एप से आप तुरंत फुरन्त बड़ा उधार लेते हैं| वैसे यह उधार आम तौर पर एक लाख से कम का ही होता है| उनका चिन्हित ग्राहक समुदाय वह तबका है जिसे इतना भी उधार सरलता से न मिल सके| इसका अर्थ यह नहीं कि यह आर्थिक निम्न वर्ग को निशाना बनाते हैं| यह आम तौर पर मध्यवर्ग के उस तबके को निशाना बनाते हैं जिन्हें तत्काल ऋण प्राप्त करने की सुविधा न हो – जैसे कम या घटती आर्थिक साख (credit rating), पारिवारिक असहयोग, उधार से सकने वाले मित्रों संबंधियों की कमी, घटती आय, घटती या स्थिर आय के साथ स्थिर या बढ़ता खर्च, आपतकालिक  आदि| फिर कोई भी व्यक्ति दस से पचास हजार का कर्ज तब ही लेगा, जब मानसिक रूप से तात्कालिक आर्थिक या सामाजिक मुसीबत सामने हो| 

यह एप मुफ्त उधार नहीं देते, आपके मोबाइल के सभी आंकड़े, सूचना, संबंध, चित्र आदि उनके पास कहे अनकहे, अनुमति- बिना अनुमति जाते हैं| आप की महत्वपूर्ण सूचना पैन, आधार, जीएसटी, माता पिता का नाम, बैंक खाता, उम्र आदि यह आपसे पूछ ही लेते हैं| कुल मिला कर आप अपना पूरा व्यक्तित्व, चरित्र और जीवन उस छोटे से ऋण के लिए गिरवी रख देते हैं| 

एक पुरानी नसीहत है – गू खाओ तो हाथी का, चिरईया का नहीं, उधार लो तो लाख का, हजार का नहीं| मैं इस नसीहत को पूरी तरजीह देता हूँ|

वैसे पैर उनते फैलाए जिनती चादर हो, पैर बड़े हो तो चादर बड़ी करने पर ध्यान दें, छोटी चादर न फाड़ें| 

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मनभावन कर्जा


देश का हर बड़ा बिल्डर बर्बादी के कगार पर खड़ा है| दिवालिया कानून उसके सर पर मंडरा रहा है|

किसी भी शहर के बाहर निकल जाओ, निर्माणाधीन मकानों की भरमार है| अगर सारे मकान किसी न किसी को रहने के लिए दे दिए जाएँ तो कोई बेघर न रहे| मगर न बेघरों के पास घर हैं, इन मकानों के पास मालिक| जिनके पास मकान हैं तो कई हैं|

सरकार दायीं हो या बायीं – देश में बेघरों को सस्ते कर्जे की रोज घोषणा होती है| मगर जिन्हें घर की जरूरत है उन्हें शायद कर्ज नहीं मिलता| चलो सरकार कहती है, लो भाई जिनके पास पहले से घर हैं – वही लोग दोबारा कर्ज ले लो और एक और मकान ले लो| क्या इससे बेघरों की समस्या कम होती है| ये दो चार घर कर्जे पर खरीदने वाले लोग तो शायद किराये पर भी घर नहीं उठाते| शायद ही इनमें से किसी ने किराये की आय दिखाकर आयकर भरा हो| तो भी इतना कर्ज देते रहने से किसी लाभ?

सरकारी महाजन को – बैंक को| बैंक ने बिल्डर को मोटा कर्जे दे रखा है| बैंक को पता है, ये अपना कर्ज नहीं चुकाएगा| पुराना गुण्डा मवाली और नया नया नेता है| बड़े मेनेजर का हमप्याला यार भी है|

अब बैंक किसी ऐसे को पकड़ता हैं जो आँख का अँधा और गाँठ का पूरा हो – या कम से कम इतना भोला हो कि घर की आड़ में गधा बनकर बैंक के लिए सोलह घंटे काम कर सके| उसे उसकी जरूरत और औकात से ज्यादा का घर खरीदवा दो| बिल्डर को जो पैसा मकान के बदले देना हो बैंक उसकी एंट्री घुमाकर बिल्डर का कर्जा कम थोड़ा कम कर देता है| अब आपकी मासिक किस्त भी बनी तीस साल या और ज्यादा – मूल कम ब्याज ज्यादा| अगर आप आठ रुपया सैकड़ा भी ब्याज देंगे तो चालीस साल में बैंक को एक लाख में मूलधन पर पक्का वाला सुरक्षित ढाई लाख ब्याज आदि मिल जायेगा| अगर आप इस मकान में रहते हैं तो तो भावनात्मक लगाव आपको इस मकान को खतरे में नहीं डालने देगा या फिर आप इस से बड़ा और महंगा मकान खरीदेंगे|

इसमें सबसे बड़ा लाभ है – बिल्डर का| जो मकान मांग आपूर्ति के आधार पर वास्तव में दस लाख का नहीं बिकना चाहिए, वो पच्चीस लाख में बिकता है| उसे अपना मकान बेचने पर कोई खर्चा नहीं करना पड़ता| यह काम अक्सर बैंक करता है| बिल्डर और सारे रियल एस्टेट उद्योग तो तो इस बात की चिंता नहीं करनी कि अगर उनके मकानों की कीमतें कम हो जाएँ तो क्या होगा? इस का नुक्सान तो बैंक को भुगतना है| मकानों की कीमतें गिरने पर लोग कर्जा उतारने में दिलचस्पी कम कर देंगे| उधर बिल्डर भी मकान न बिकने का हवाला देकर कर्जा नहीं चुकायेंगे|

कुल मिला कर अपनी जरूरत के आधार पर घर खरीदें आसन कर्जे के आधार पर नहीं|