भावना प्रधान देश है हमारा| जान जाए पर भावना न जाए| भावनायें बचाते बचाते हमारी जिन्दगी गुजर जाती है| सदियों से हम भावनाएं बचा रहे है| दुनिया के आधे देश ज्ञान विज्ञान में तरक्की कर कर आगे निकल गए| हम अपनी “विश्व-गुरु रहे थे पुरखे” – गान गाने और उसकी भावना बचाने में लगे हैं| हमारी भावनाएं – कोई भी आहत कर देता है| किस किस की बात से जल्दी आहत होना है, किस किस तरह की बात से जल्दी आहत होना है, यह भी हमारी भावना पर निर्भर करता है| हुसैन के चित्रों से जो भावना आहत हुईं[1] वो सिन्धु घाटी की मूर्ति को देवी पार्वती बताने पर ही प्रसन्न हुई| [2]
बाबर-अकबर – ओरंगजेब का का नाम लेने से आजकल हिन्दुओं की भावनाएं आहत हो जातीं हैं, तो सलमान रश्दी और तसलीमा नसरीन के नाम से मुसलमानों की| देश में किसी भी किताब, फिल्म, कलाकृति, चुटकुले, यहाँ तक कि भजन से भी भावनाएं आहत हो जातीं हैं| किसी और से तो छोड़ दीजिये, एक बार इस देश की भावनाएं गोस्वामी तुलसीदास जी ने आहत कर दीं थीं|
हुआ यूँ कि बेचारे गोस्वामी अवधी और व्रज में रामकथा लिखने लगे| काशी पण्डित लगे घबराने| आहट भावना से कश्मीर से कन्याकुमारी- कच्छ से कामरूप लगे कांपने| एक तो विधर्मी का राज ऊपर से अधर्मी भाषा में रामकथा| संस्कृतनिष्ट भावनाएं बुरी तरह आहत| गंवार-देहाती सब राम-राम छोड़ राम कथा करने लगेंगे| लगा पुस्तक पर प्रतिबन्ध| लगा इहलोक से निकले गोस्वामी, परलोक से भी निकले| गोस्वामी त्राहिमाम त्राहिमाम भागे, हनुमान जी ने तीन लोक नापे| हुआ चमत्कार और ईश्वर ने तुलसीदास की रामचरितमानस के पक्ष में निर्णय दे दिया|
तुलसीदास से पहले मीराबाई में शूरवीर मेवाड़ की भावना आहत की थीं| खुद ईश्वर को आकर उनके प्राण-प्रण बचाने पड़े| मगर हम न सुधरे| हमारी भावना न सुधरीं| भावनाएं आहत होना न रुका|
ईश्वर भी आहत हो गया, गवाही देते देते|
[1] https://en.wikipedia.org/wiki/M._F._Husain
[2] http://www.financialexpress.com/india-news/hindu-roots-goddess-parvati-report-hints-indus-valley-civilisation-used-to-worship-lord-shiva-in-2500-bc/486475/