न, यशोदा हरि पालने न झुलावै


आजकल प्रसूति गृहों, महिला चिकित्सालयों और जच्चा बच्चा केन्द्रों में भी पालने नहीं होते| महंगे चिकित्सीय उपकरणों के बोझ से दबा चिकित्सा तंत्र शायद इसे अनावश्यक खर्च मानता होगा| मेरे बचपन तक पालने, भले घरों में तो थे ही, चिकित्सालयों में दिखाई देते थे| मुझे बचपन का अपना लकड़ी का नक्काशीदार पालना आज भी याद है, हम तीनों बहन भाई उस में कुछ दिन रहे और बाद में वह शानदार पालना नष्ट हो गया| माँ कई बार काम करते समय अपनी कलाई या बांह से पालने की रस्सी बांध लेती थी, जिससे पालना बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के झूलता रहे| धीरे धीरे पालने का चलन ख़त्म हुआ|

आज न माँ बच्चों को पालने में सुलाती है, न पालना झुलाते हुए लोरी गाती है| माँ भी बच्चों को अपने बिस्तर पर सुलाना पसंद करती है| आज माएं शायद बच्चों से अधिक करीब हैं| बच्चे माँ, नानी दादी, धाय या किसी और की गोद में होते हैं या उनकी बगल में सोए रहते हैं| मजे की बात है कि आजकल दादी नानियाँ भी पालने के लिए जोर नहीं डालतीं| आखिर क्या हुआ कि एक और गौरवशाली भारतीय परम्परा नष्ट हो गई|

भारत में रोजगारपरक पलायन, छोटे घर का चलन और सयुंक्त परिवार का टूटना तीन ऐसी घटनाएँ थीं कि माँ बच्चों के अधिक निकट आने लगीं और बच्चे उनके अकेलेपन के साथी बनने लगे| यह सब न सिर्फ माँ के अकेलेपन का इलाज था बल्कि कई बार नापसंद या हिसक पति से राहत भी देता था| इससे बच्चों का क्या लाभ हुआ?

भारतीय विशेषज्ञों की बात आजकल के स्वदेशी जमाने में कोई सुनता नहीं है| इसलिए हम पश्चिमी विशेषज्ञों की बात करेंगे|

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स[1] पहले छः महीनों के लिए माँ को अपने बच्चे के साथ एक ही कमरा साझा करने की सलाह देता है। हालांकि यह संस्था माँ को बच्चे के साथ एक ही बिस्तर पर सोने की सलाह नहीं देती| उसके अनुसार, बच्चों को अपना खुद का क्षेत्र और अपनी नींद के लिए बिस्तर चाहिए| संस्था एक स्थिर पालने की सलाह देती है| यह भारत में चलन में रहे झूलने वाले पालनों से थोड़ा अलग है| संस्था के मुताबिक यदि आप पालना नहीं खरीद सकते या उसे रखने की जगह न हो तो बस्सिनेट लेने की सलाह दी जाती हैं|

यह तय है कि कपड़े से बने अस्थाई पालने जन्म के प्रारंभिक कुछ एक दो महीने में बच्चे को गर्भ जैसी सुरक्षा का अहसास देते हैं परन्तु उसके बाद वह उसके विकास क्रम में बाधा बनते जैसे करवट लेने में कठिनाई, रीढ़ को सीधा करना और रखना न सीख पाना|

फ़िनलैंड में १९३० से (तब फ़िनलैंड बहुत गरीब देश था) सरकार प्रत्येक बच्चे को जन्म के समय कार्डबोर्ड का एक डिब्बा देती है|[2] इसमें उसकी जरूरत की बहुत सी चीजें होती हैं जिन्हें बच्चा अपने शुरुआती जीवन में प्रयोग करता है| सामन निकालने के बाद यह कार्डबोर्ड का डिब्बा बच्चे का पालना होता है| यह माना जाता है कि फ़िनलैंड में शिशु मृत्युदर कम रखने में इस डिब्बे का बहुत योगदान है|

माना जाता है कि पालने में सोने वाले बच्चे जल्दी ही स्वतंत्र और विकिसित व्यक्तित्व बनने लगते हैं|

[1] https://www.webmd.com/parenting/baby/baby-prep-17/buying-baby-furniture

[2] https://www.bbc.com/news/magazine-22751415

कृपया, अपने बहुमूल्य विचार यहाँ अवश्य लिखें...

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.