मरती हुई नदी अम्मा


क्या आप एक पात्र में गंद या गन्दा पानी लेकर अपनी माँ के सिर पर डाल सकते हैं?

अगर आपका उत्तर नकार में है तो आप घटिया किस्म के झूठे हैं| अगर आप एक भारतीय हिन्दू हैं तो आप झूठे ही नहीं महापापी भी हैं| ईश्वर अनजाने में किये गए पाप को तो माफ़ कर भी दे मगर जानते बूझते अनजान बनने से तो काम नहीं चलेगा| ईश्वर के माफ़ करने से क्या माँ दिल से माफ़ करेगी|

नदियाँ, जिन्हें सारा भारत माँ कहता है और जिनका देवी कहकर मंदिरों में पूजन हो रहा है, उनके माथे ऊपर कूड़ा करकट कौन डाल रहा है?

माँ के दुर्भाग्य से यह सब उसकी अपनी धर्म संताने कर रही हैं| हभी हाल में माँ यमुना के किनारे पर उनके पूजन के नाम पर प्रदूषण करने वाले एक स्वनामधन्य हिन्दू धर्मगुरु ने तो अपनी गलती मानने और अदालत द्वारा लगाये गए जुर्माने को देने से इंकार कर दिया| सुबह सुबह नदियों में आचमन करने जाते पूंजीपति अपने कारखानों में प्रदुषण पैदा करते हैं और उसे बिना साफ़ सफाई के नदियों की गोद में डाल देते हैं| बहुत से तो इनता अच्छा करते हैं कि कारखाने में या उसके पास धरती की कोख में अपनी पैदा की गई गंद डाल देते हैं|

अगर किसी माँ का इतना अपमान होगा तो उनका मन मलिन न होगा| क्या वो माँ ये न कहने लगेगी कि ईश्वर उसे ऐसे संतान से मुक्ति दे? क्या वो अपने लिए मृत्यु की कामना न करने लगेगी?

शायद अब नदियाँ ईश्वर से प्रार्थना कर रहीं हैं, हमें पानी मत देना मौला|

कृपया, अपने बहुमूल्य विचार यहाँ अवश्य लिखें...

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.