मैं तुमसे कहता हूँ
फिर की बातें फिर ही करना,
क्या पता, कल सुबह काली हो,
क्या पता, कल की सुबह काली हो|
आज की रात सोने दो||
नींद की क्यारी में
सपनों के बीज बोने दो,
क्या पता, उन्नीदी बंजर हो,
क्या पता, समय की गोद सूनी हो|
आज की रात सोने दो||
बिखरा हुआ सपना मेरा,
नींद में तो खिलने दो|
क्या पता, आँखों में मंदी हो,
क्या पता, आँखों पर हदबंदी हो,
आज की रात सोने दो||
कल की झूठी आशा में,
ये मंजर धुंधला न खोने दो|
क्या पता, कल घोर निराशा हो,
क्या पता, कल उन्नत आशा हो,
आज की रात सोने दो||
Very nice
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बहुत खूब!
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