बाजारू रद्दी से
चीन्हते बीनते
ख़बरों का कलेवा
उबली मरीली फीकी चाय
फूकते सुङगते
अटक गयी है,
कसैले मूँह में;
चूतियापे के चड्डू
और बेस्वाद चिल्लपों|
मर गयी खेत मजदूर की औलाद
चाटकर सरकारी परोसे की थाली|
अलापकर सत्ता का रण्डी रोना
हैदराबाद हॉउस की बिरयानी
डकार गए हाकिम के बाप|
नये ब्रह्मास्त्र की खरीद के
डर के मारे मूत गयी
फौजी की माँ बहन|
देश के जवान सांडो ने
सड़क पर ठोंक दी
मस्त जवान छोरी|
चार साल की लड़की की
छोटी फलारिया देख कर
हो गया देश की इज्जत का
मासिक धर्म|
चिकने कागजों में हुई
दलालों की दावत
चर्चा में चमक गया
चड्डी पर लिया गया चुम्मा|
देश की तड़पती जवानी ने
खाए दुनियादार बाप के जूत
चुपचाप बैठ के लगाली
बीच पिछाड़ी में सुन्न की सुई||