जलता हुआ घर
याद दिलाता है
जब जलाए थे
घर मेरे बंधुओं ने
हर्षित हुआ था मैं
ऋषि-शिशु का रुदन
श्रवण संगीत सा
लगा था मुझे
आज मेरी शिशु
चिर-शांत हुई
वह असह संगीत
चिल्लाते हुई
हे हनुमान!
क्षमा करना
तुम स्वयं को
मैं स्वयं को|
समस्त स्वमेव स्वयं||
जलता हुआ घर
याद दिलाता है
जब जलाए थे
घर मेरे बंधुओं ने
हर्षित हुआ था मैं
ऋषि-शिशु का रुदन
श्रवण संगीत सा
लगा था मुझे
आज मेरी शिशु
चिर-शांत हुई
वह असह संगीत
चिल्लाते हुई
हे हनुमान!
क्षमा करना
तुम स्वयं को
मैं स्वयं को|
समस्त स्वमेव स्वयं||
1।
क्या मैं अवैध हूँ?
नहीं, अवैध गरीबी होती हैं,
तुम तो बुलडोजर हो|
2।
सड़क पर खड़ी मेरी गाड़ी,
और बाद शाह जी का हाथी,
बातें करते हैं
फुटपाथ पर सोता बेघर
समाज पर अतिक्रमण है|
3।
सुजान चतुर नगर
सब चका चक चौबन्द
नहीं चाहिए टाट पैबंद
सिवा मुँह अंधेरे झाड़ू बुहारू
करने वालियाँ
कहो शहंशाह,
अनुभव अपना
फंस गए थे जब
भव्य राजपथ के ऊँचे सोपान पर
द्विदिश मध्य
प्रजा की पिनपिनाहट में?
कहो शहंशाह
क्या स्मरण हुआ था
उस श्वानपुत्र का
कुचला गया था जो
राज-रथ से?
कहो शहंशाह
स्मरण हुआ था क्या
बिसरे यथार्थ का
बलि होते अल्पमानव का
अन्य अल्पमानवों के
कर कलमों से?
कहो शहंशाह
बचपन, मातामही, विद्यालय,
दुग्ध, दधि, छठ, राजयोग, राजहठ,
क्या स्मृति जागी विश्वेश्वर-विधाता?
कहो शहंशाह
पहचान पाये क्या
मुख अपना वा यम का?