गज़ब खबर थी,
जाड़ों की धूप का आना
गुनगुने अहसास का छाना
हकीकत थी इनका इंतज़ार|
पहन लेना पुराना बंदगला,
पुरानी गरम अचकन शेरवानी
ओढ़ लेना लिहाफ़ फटे गिलाफ़
इन सबकी बची खुची गर्मी|
बची हुई तासीर मुहब्बत की,
धीमी आंच पर तलते पकौड़े
तेज आंच पर सिंकते दो हाथ
इनका अड़ियल अधूरापन|
पड़े रहना गिलाफ़ ओढ़कर
चढ़ाए लिहाफ़ पर एक टाँग
रुकी मुस्कान का अलसाना|
पिघलती हुई ख़ुशी जेहन में|
कहवा और चाय गरम गरम
तले काजू बादाम गरम हलवे
ढूँढना ठंडी आंच अँगीठी में|
शिकवे जाड़ों और जिंदगी के|
संभाल फिर फिर रख देना
सबसे गरम लबादे लोई खेस
चटख़ रंग गर्म कपड़े ऊनी
धुप्प और धूप की उलझन|
आराम के इन्तजार में
निकल जाना जाड़े का
खा लेना गर्म रूखी रोटी|
गज़ब खबर थी,
जाड़ों की धूप का आना
बुढ़ापा आने से थोड़ा कम