||एक||
धृतराष्ट्र के सौ पुत्र!
मैं हजारों देखता हूँ,
दृष्टि दिगन्त दुःख है,
गान्धारी पीड़ा धारता हूँ||
||दो||
राज्य प्रासाद के प्रांगण में
चौपड़ नहीं बिछती सदा,
शत-पञ्च के बहुमत से
कौरव विजयी होते रहे||
||तीन||
जो सत्य के साथ हों,
पांच गाँव माँगें सदा,
हस्तिनापुर की जय हो,
पाण्डव करें पुकार,
एकलव्य क्या कहे
क्या धर्म आधार||
-ऐश्वर्य मोहन गहराना