बदला लेने वाला न्याय


अजीब मनस्तिथि है| तलवार दम्पति की रिहाई से कोई खुश नहीं दिखाई देता| हर तरफ एक अजब सा मातम है| हर किसी को बिटिया को न्याय न मिलने का दुःख है|

लोग इस रिहाई से इसलिए दुःखी नहीं कि किसी के दोषी होने पर विश्वास है, बल्कि उन्हें आरुषि तलवार की हत्या का जल्द से जल्द बदला लेना हैं| बड़े मुश्किल से उन्हें कोई मिला था जिसे दोष दिया जा सकता था| शक के बिना पर किसी पर भी ऊँगली उठाई जा सकती है| अगर आपकी पुलिस व्यवस्था नाकारा हो, तब भी किसी न किसी तो तो न्याय के कठघरे में खड़ा करना ही होगा| अंधेर नगरी में क्या न्याय नहीं होता होगा|

न्याय; बदला लेने की आदिम जंगली गैर मानवीय प्रवृत्ति परिष्कृत प्रक्रिया का सभ्य – सुसंस्कृत नाम है और अब तो इसपर आधुनिकता का ठप्पा भी है| कर्मफल के आधार पर न्याय तो प्रकृति स्वयं करती है| या फिर क़यामत के दिन ईश्वर ख़ुद न्याय करता है| परन्तु किसने देखा कर्मफल? किसने देखी क़यामत?

न्याय इसी जन्म में इसी धरती पर जल्द से जल्द सब निपटा देने का नाम है| न्याय और बदला लेने की प्रक्रिया में मामूली सा अंतर है| न्याय प्रायः सबूत मांगता है और बदला शायद ही सबूत की कद्र करता हो| न्याय में न्यायाधीश को अपनी निजी भावना से ऊपर उठाना होता है और बदले में निजी भावना सर चढ़कर बोलती है| जरूरी नहीं बदला लेने के लिए आपके किसी प्रियजन या प्रियसम्पत्ति का कोई नुक्सान हुआ हो| आप अनजान मुल्क के अनजान पत्थर के टूटने पर भी अपने पुराने मित्र से बदला ले सकते हैं|

बदला लेने की भावना किसी अदालती कार्यवाही की मोहताज नहीं होती| बदला केवल शक की बिना पर या अपने पक्षपात लिया सा सकता है| कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह शक किसी षड्यंत्र ने पैदा किया है या अपने सर से काम के बोझ से परेशान पुलिस या न्याय व्यवस्था ने| बदले की भावना पुलिस और न्याय प्रशासन की उन्नति में बाधा होती है और उसपर जल्दी परिणाम लाने का दबाब डालती है| यह दबाब ही किसी न किसी निर्दोष को फंसा देने के लिए प्रशासन को मजबूर करती है| आप सही न्याय होते नहीं मात्र न्याय होते देखना चाहते हैं| आप टेलीविजन के किसी रियल्टी शो की तरह घटनाओं को देखते और प्रतिक्रिया देने लगते हैं| ऐसे में हर व्यक्ति दूसरों के लिए न्यायाधीश बन जाता है और बड़े बड़े फ़ैसले पान की दुकान, सोशल मीडिया और ख़बरिया चैनल पर होने लगते हैं| आपका सरोकार नहीं कि पुलिस को सबूत मिले या नहीं, दोष सिद्ध हुआ या आपके दबाब में आरोपों को जस का तस मान लिया गया|  आप अपने रियल्टी शो में बदला पूरा करना चाहते हैं, भले ही आरोपी दोषी हो या न हो|

जब आप ऐसे न्याय पर खुश होते हैं तब असल आरोपी आपके घर में बैठकर किसी न किसी दिन आपको निशाना बनाने की तैयारी कर रहा होता है|

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बदला लेने वाला न्याय&rdquo पर एक विचार;

  1. गर आपकी पुलिस व्यवस्था नाकारा हो, तब भी किसी न किसी तो तो न्याय के कठघरे में खड़ा करना ही होगा| अंधेर नगरी में क्या न्याय नहीं होता होगा|bilkul sahi kaha apne..

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