ये मौसम गुनगुना है, हवाओं में खुशबू है|
फ़िजाओं में घुला है, नशा तेरे होने का – साथी||
पत्थर भी गुनगुनाते हैं, गीत भौरों की जुबां में,
कौवे भी गाते हैं, मुहब्बत के मुस्कुराते तराने|
तेरी ही आवाज़ में, मैं आवाज आज देता हूँ,
गुमशुम सी हंसती है, हस्ती मेरे, मेरे होने की||
जिन्दगी में तरन्नुम है, तरानों में रस्मी रवानी है,
बचपन की बचकानी बातें, आज मेरी जवानी हैं|
अमावास की रातों में, अब पूनम की चाँदनी है,
तेरी दरियादिली में, मेरी मस्त जिन्दादिली है||
तू जो कह दे, उसे जुबां में हंसकर अपनी दे दूँ,
तेरे परचम की अदा पर, निछावर रंग मेरे दिल के|
मेरा हमसफ़र तू, मेरा सरमाया तू, तू ख़ुदा है,
आगोश में तेरे आने को, मेरा सिर यूँ झुका है||
नायब
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