तुम्हारे हर न के लिए
मेरा प्रतिशोध होगा
चिर अनंत तक झूल जाना
पौरुष के भग्नावशेष के साथ |
क्योंकि टूटा पुरुष भारतीय
निराशा के क्षीरसागर से
निकलता हुआ तिमिर है |
और तुम असमर्पित!
गलबहियां डालना
नागवेणी बनकर |
मेरी माँ ने भी कदाचित
न नहीं कहा था निश्चित
मुझे धारण करने से पहले|