एक समय की बात..
मृत्यु लोक का एक नगर..
इंद्र के स्वप्न सरीखा..
सोने की सड़क.. सड़क पर सोना..
सोने के स्तम्भ.. सोने के स्तूप..
सोने के शस्त्र.. सोने के शास्त्र..
सोने की समृद्धि.. समृद्धि का सोना..
सोने का सूर्य.. और चन्द्र..
नभ वायु जल आकाश सब सोना..
राज मुकुट सोना… पददलित पायदान सोना..
स्वप्न भी सोना.. श्वास भी सोना..
रुदन, क्रदन, हास्य सोना सोना सोना…
सुख दुःख, प्रेम प्रतीति, श्रृद्धा सुमन, रिश्ते नाते, मित्र शत्रु सब सोना…
सब सुखी, सब मस्त, सब पस्त, सब प्रसन्न, सब सन्न, सब आसन्न, सब श्रेष्ठ…
सोना तो कुंदन है… कसौटी है…
जिधर स्वर्ण; उधर धर्म, मर्म, कर्म, शर्म.. उधर हवा गर्म… ह्रदय नर्म….
जलते थे, जलाती थी.. जल से घिरी लंका जला दी गयी..
विकट वनवासी वानर.. वानर ने जला दी..
नासमझ वानर… भालू, रीछ, जंगल वाला वानर….
न हाथ लगाया.. न मन, न मस्तिष्क…
लंका ने वानर की पूँछ में आग दे दी.. आग लगा दी.. आग लग गयी…
वानर उछलता रहा.. कूदता रहा.. भागता रहा…
आनंद आग में बदल गया.. आनंद नहीं फैला.. आग फैल गयी….
लंका भष्म हो गयी..
अहंकार, अहंकार नहीं… चाटुकार नहीं
रावण विद्वान.. रावण ज्ञान.. रावण महान… रावण लोक पति.. रावण विश्वरूप,
रावण विकास.. रावण समृद्धि.. रावण सोना.. रावण समस्त सृष्टि..
रावण सुन्दर.. रावण शिव सुन्दर.. रावण सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
लंका राख.. लंका चिता.. लंका चिता की राख.. लंका अस्थि कलश…
लंका लंका लंका लंका लंका लंका लंका लंका स्वर्ण लंका…
स्वर्ण लंका.. स्वर्ण लंका..