कुलनाम


अभी हाल में “ओऍमजी – ओह माय गॉड” फिल्म देखते हुए अचानक एक संवाद पर ध्यान रुक गया| ईश्वर का किरदार अपना नाम बताता है “कृष्णा वासुदेव यादव”| इस संवाद में तो तथ्यात्मक गलतियाँ है;

 

१.      उत्तर भारत में जहाँ कृष्ण का जन्म हुआ था वहां पर मध्य नाम में पिता का नाम नहीं लगता| वास्तव में मध्य नाम की परंपरा ही नहीं है, मध्य नाम के रूप में प्रयोग होने वाला शब्द वास्तव में प्रथम नाम का ही दूसरा भाग हैं, जैसे मेरे नाम में मोहन|

 

२.      उस काल में कुलनाम लगाने का प्रचलन नहीं था|

 

'Vamana Avatar' (incarnation as 'Vamana') of V...

‘Vamana Avatar’ (incarnation as ‘Vamana’) of Vishnu and King ‘Bali’. (Photo credit: Wikipedia)

 

 

 

जाति सूचक शब्द में नाम का प्रयोग शायद असुर नामों में मिलता है, जैसे महिषासुर, भौमासुर| यह भी बहुत बाद के समय में| प्रारंभिक असुर नामों में भी इस तरह का प्रयोग नहीं है, जैसे – हिरन्यकश्यप, प्रह्लाद, बालि, आदि|

 

ऐतिहासिक नामों में मुझे चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम में ही कुल नाम का प्रयोग मिलता है, स्वयं मौर्य वंश में भी किसी और शासक ने कुलनाम का प्रयोग नहीं किया है| विश्वास किया जाता है कि वर्धनकाल तक भारत में जाति जन्म आधारित न होकर कर्म आधारित थी| यदि उस समय जाति या कर्म सूचक कुलनाम लगाये होते तो हो सकता कि शर्मा जी का बेटा वर्मा जी हो| सामान्यतः, मध्ययुग तक कुलनाम का प्रयोग नहीं मिलता| हमें पृथ्वीराज चौहान का नाम पहली बार कुलनाम के साथ मिलता है|

 

 

स्त्रियों में कुलनाम लगाने की परंपरा बीसवीं सदी तक नहीं थी| स्त्रिओं में कुमारी, देवी, रानी आदि लगा कर ही नाम समाप्त हो जाता था| बाद में जब स्त्रिओं में कुलनाम लगाने की परंपरा आयत हुई तो बुरा हाल हो गया है| प्रायः सभी स्त्रिओं को विवाह के बाद अपना कुलनाम बदलकर अपनी पहचान बदलनी पड़ती है अथवा अपनी पुरानी पहचान में पति की पहचान का पुछल्ला जोड़ना पड़ता है|

 

पाठकों के विचारों और टिप्पणियों का स्वागत है|

 

4 विचार “कुलनाम&rdquo पर;

  1. very nice article….many people told me….”singh” ke sath “verma” nahi lagta…….well…..In punjab every sikh male has the surname after middle name “singh”…..i.e Pal Singh Makkar, Gurinder Singh Chhabra etc…….Practically, every Sikh male express his first & middle name only, whenever u ask his name.. i.e Mohan Singh, Pritam Singh & Manpreet Singh etc……

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    • मूलतः कुलनाम या उपनाम लगाने ने परंपरा अरब, तुर्क और यूरोपियन लोगों के भारत आने के बाद हमारे समाज में आई है| मुझे नहीं लगता कि इसका कोई महत्व है| हाँ इस परम्परा में भारतीय समाज के जाति भेद को बढाया ही है या फिर पहचान छिपाने के लिए गलत कुलनामों का प्रयोग भी हो रहा है|
      मेरे परिवार में भी कई लोग सिंह और वर्मा लगाते है, वर्मा का मूल आधार तो मुझे पता नहीं है| मगर सिंह लगा कर हम लोग पशु से अपना क्या सम्बन्ध सिद्ध करना चाहते हैं?
      तसलीमा नसरीन ने सिंह के नाम में प्रयोग के ऊपर एक लेख लिखा था, शायद नेट पर उपलब्ध है| मुझे उसमें से कई बातें (या प्रायः सभी बातें) उचित लगतीं हैं|
      आशा है आप मेरी टिपण्णी को अन्यथा नहीं लेंगें|

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  2. Abe dhakkan agar, shri Krishna Vasudev Yadav ke samay jati karm adharit thi to Karn ko jeevan bhar ek taange wale ke roop mein hi pehchana gaya. Unhe kabhi wo samman nahi mila jo unhe milna chahiye tha.
    Doosra proof Eklavya jo ki neech jati ke the isiliye dronacharya ne unhe siksha dene se mana kar diya tha. Agar vyavstha karm adharit thi to unhe we turant apna shisya bana lete.
    Aur in sab baton se ye siddh hota hai ki Krishna ji ka janm Yadav parivar mein hua.
    Aur we jeevan bhar YADAV hi rahe.

    Samajhe……
    जय यादव जय माधव

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    • अपशब्दों का प्रयोग आपके तर्क को ही अपठनीय बना रहा है, परन्तु कदाचित यह आपकी समझ सीमा की पहचान है|
      कुलनाम वंश का प्रतीक है और जाति कर्म का| यादव वंश है, शूद्र या क्षत्रिय जाति, ओबीसी सामाजिक स्तर|
      आज ब्राह्मणों में सारस्वत और कौशिक कुलनाम है|

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