प्रथम विजय का उत्साह


अभी हाल में मेरे बेटे प्रत्युष ने अपने जीवन के पहले चिट्ठाकार सम्मेलन (जी हाँ, ब्लोगर्स मीट) में हिस्सा लिया| भले ही अभी उसे कुछ लिखना या बोलना नहीं आता मगर शायद वह सम्मेलन का सबसे अधिक ध्यान खींचने वाला प्रतिभागी बन गया|

स्थान:       फार्च्यून सलेक्ट ग्लोबल, ग्लोबल आर्केड, महरोली गुडगाँव मार्ग, गुडगाँव

समय:        शनिवार, जून 8, 2013, दिन का तीसरा प्रहर (1.00PM  – 5.30 PM)

उस दिन पत्नी जी को अपने किसी कार्य से व्यस्त रहना था| मुझे जब इस निमंत्रण के बारे में पता चला तो बेहद प्रसन्नता हुई| कामकाजी माता पिता की संतान होने के कारण मेरे बेटे के पास घुमने फिरने के कम ही मौके होते हैं| इस कार्यक्रम के निमंत्रण में कहा गया था कि छोटे बच्चों को भी ला सकते हैं तो मुझे प्रसन्नता हुई| बिना किसी पुर्विचार के निमंत्रण को स्वीकार किया और उसके बाद मैंने आयोजकों से स्पष्टीकरण माँगा कि क्या मैं १८ महीन के बालक को ला सकता हूँ| उनकी ओर से हाँ में उत्तर आने के बाद किसी भी प्रकार का संशय मन में नहीं था| अब मैं अपने बेटे को अपने साथ घुमाने भी ले जा सकता था और अपने नये मित्रों के साथ अपने क़ानून सम्बन्धी ब्लॉग के बारे में भी चर्चा कर सकता था|

उस दिन जब मेट्रो में सहयात्रियों के साथ खेलते हुए वह गंतव्य तक पहुँचते पहुँचते थक गया| मुझे लगा कि आज का बाकी का दिन यह सो कर बितायेगा और मैं इसे गोद में लिए बैठा रहूँगा| मगर जब मैं आगंतुक सूची में अपना नाम दर्ज करने उसने जग कर चारों ओर देखना शुरू कर दिया|

 

प्रत्युष, समारोह में पहुंचे समय

प्रत्युष, समारोह में पहुंचे समय

 

जल्दी ही उसने चारों और घूम घूम कर चीजों के समझने की कोशिश शुरू की| सभी लोगों के मित्रवत व्यवहार से उसे पता चाल गया था कि वह यहाँ पर अपने लोगों के बीच है और उसे घुमने फिरने की आजादी भी है|

कार्यक्रम प्रारंभ होते ही मौजूद बच्चों में से सबसे छोटे बच्चे के लिए कुछ उपहार दिए जाने की घोषणा की गयी| मात्र 18 महीने की उम्र के साथ प्रत्युष ने यह पुरुस्कार प्राप्त कर लिया|

 

प्रत्युष, उपहार लेते हुए

प्रत्युष, उपहार लेते हुए

 

इस के बाद तो उसने जो धमा – चौकड़ी शुरू की, तो रुकने का सिलसिला थमा ही नहीं| उसके कूछ चित्र इस पोस्ट के अंत में मौजूद  हैं|

इसके बाद “ओल्ड मेक्डोनाल्ड हेड अ फार्म” गाने के ऊपर खेली गयी छोटी सी प्रतियोगिता की बारी आई| उसे इस गाने में बहुत आनंद आया| घर आकर भी उसने “ईईई ऊऊओ” कई बार गाया|

अब सभी लोगों को अपना परिचय देना था| वो हर व्यक्ति को परिचय देते हुए ध्यान से देख रहा था| उसने यह खेल लग रहा था, उसके हिसाब से शायद उस खेल में यह पहचानना था कि आवाज किधर से आ रही है|

इसके बाद उसने एच पी द्वारा दिए गए प्रस्तुतिकरण को न केवल ध्यान से सुना बल्कि वह उस मेज तक पहुँच गया जहां पर करुणा चौहान कुछ ब्लोगर्स को एच पी प्रिंट आर्ट के बारे में सिखा रहीं थीं| मेरे पास उस समय का कोई चित्र नहीं है|

इसके बाद सभी प्रतिभागियों को कुछ समूहों में बाँट दिया गया| हर समूह को दिए गए साज – सामान से अपनी मेज को एक जन्मदिन समारोह के लिए सजाना था| अब तो बालक की मौज आ गयी| हमारे पास स्पेस ट्रैवलर का थीम था| और हमारी टीम में से उसके सहित चार लोग सिर्फ उस पर ही ध्यान दे रहे थे|  मगर बाकी ग्यारह लोगों में खूब मेहनत की| मगर बालक खुश था| इतने सारे लोग उसका जन्म दिन जो मना रहे थे| हमारी टीम ने काम भले ही कितना भी बुरा किया हो, मगर मेहनत खूब की और उसका आनंद भी पूरा लिया| आखिर हम मिलने जुलने और आनंद लेने भी गए थे|

 

प्रत्युष, बिना जन्म दिन मनाया जन्मदिन

प्रत्युष, बिना जन्म दिन मनाया जन्मदिन

 

इन तैयारियों के बीच उसने वहां मौजूद वेटरों से अच्छी दोस्ती कर ली थी और अपने लिए असीमित फिंगर चिप्स का इंतजाम कर लिया था| मुझे कई साथी ब्लोगर्स में बताया कि उन्होंने इसके कई कई फोटो लिए है| अब मुझे उन फोटो का इन्तजार है|

 

प्रत्युष, सेलेब्रिटी पोज

प्रत्युष, सेलेब्रिटी पोज

प्रत्युष, समारोह का आनंद उठाते हुए

प्रत्युष, समारोह का आनंद उठाते हुए

चोकलेट नहीं, वो वाला टेबल

चोकलेट नहीं, वो वाला टेबल

 

हमने उसके स्पीकर्स संभल कर रख दिए हैं जिस सेबड़ा होकर वह उन पर अपनी मर्जी के गाने सुन सके| यह भी हो सकता है कि वह उन का प्रयोग इन्टरनेट पर अपनी पढाई करने के लिए करे|

 

2 विचार “प्रथम विजय का उत्साह&rdquo पर;

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