बिंदी तेरे बिन


हर साल हमारे समाचार पत्रों में एक खबर छपती है – इस साल ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी ने फलां फलां भारतीय शब्द को अंग्रेजी में शामिल किया| हम खुश हो जाते हैं| हम अपने शब्द की महानता समझते हैं मगर यह भूल जाते हैं कि उन्हें अपने में शामिल करने वाली जुबान दिल कितना बड़ा होगा| अंग्रेजी की इस तारीफ पर हम असहमत हो सकते हैं मगर अंग्रेजी एक बेहद छोटी छोटी जुबान से दुनिया में सबसे बड़ी जुबान में तब्दील हुई है| साम्राज्यवाद के पतन के बाद भी आज अंग्रेजी लगातार बढ़ रही है|

हर कुछ महीनों में हमारे समाचार – पत्रों में एक और खबर छपती है जिसमें उर्दू का नाम निशान मिटाने की बात होती है| यह जो उर्दू की बात होती है, ये दरअसल फ़ारसी की बात होती है| अगर सही कहे तो उस फ़ारसी की बात होती है, जिसपर अरबी प्रभाव पड़ा है| पुरानी फ़ारसी और संस्कृत एक परिवार की भाषाएँ है, अवेस्ता फ़ारसी और वैदिक संस्कृत के तमाम शब्द एक ही मूल से निकले हैं| यह निष्कासनवाद हिंदी को कमजोर करता है| आज निष्कासनवाद हिंदी की दुखद पहचान बन रहा है|एक वक्त हिंदी-उर्दू से बड़ी भाषाएँ रहीं ब्रज और अवधी को हिंदी वाले आज तिरस्कार और निष्कासन के भाव से देखते हैं वह हास्यास्पद है| हिंदी के इस तिरस्कार से पल-बढ़कर भोजपुरी एक बोली से बढ़कर विकसित भाषा का रूप लेने लगी है| जब भी हिंदी भाषा क्षेत्र की कोई पुरानी या नहीं भाषा या बोली आगे बढती हैं, हिंदी वालों की हिराकत बढ़ने लगती है| जहाँ अंग्रेजी दुनिया भर के शब्दों के साथ अपने को समृद्ध कर रहीं है, हिंदी अपने प्रभाव क्षेत्र में झुइमुई बन रही है|

आम बोलचाल हिंदी और उर्दू में फिलहाल कोई खास फर्क नहीं दिखता , मगर हिंदी से उर्दू या कहिये फ़ारसी शब्दों को निष्काषित करने के मुहिम चल रही है| हिंदी के ऊपर कठोर तत्सम भाषा बन जाने का ख़तरा बढ़ रहा है| आज की हिंदी को बिंदी से बड़ी नफ़रत होती है| हालत तो यह हैं कि  क़, ज़, फ़, ख़ की बिंदियाँ ही नहीं ढ़, ङ, ड़, बिंदियाँ भी गायब हो रहीं है| दुःख का विसर्ग कब और कहाँ जा उड़ा, यह तो हिन्दी वाले खुद भी नहीं बता सकते| यह निष्कासन भाषा के विकास के नाम पर हो रहा है| क्या भाषा को छोटा करते जाना उसका विकास है?

होना यह चाहिए था कि हिंदी वाले अपने बड़े बड़े शब्द कोष बनाते| हिंदी शब्द कोशों में ब्रज, अवधी भोजपुरी के सभी कामकाजी शब्द शामिल किये जाते| क्या हिंदी परिवार की सभी भाषाएँ मिलकर हिंदी को बड़ा नहीं कर देतीं|

जो लोग हिंदी में स्नेह शब्द का सही प्रयोग नहीं कर सकते, वो लोग मोहब्बत मिटाने में लगे हैं|

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